श्रावण कृ. १०, कलियुग वर्ष ५११४
मुंबई – उच्च न्यायालयने बुधवारको राज्य सरकारसे द्वारा पूछत्की कि चारणा की कार्यवाहियोंमें सहभागी होनेके कारण ‘सनातन’ संस्थाके समान ही ‘अभिनव भारत’ संस्थापर भी प्रतिबंध लगानेकी सिफारिश राज्यके आतंकवादविरोधी पथकदल द्वारा की गई थी । फिराज्यसरकारने इस संदर्भमें क्यों चुप्पी साधीr है ? उसी प्रकार सरकारको आदेश दिए गए हैं कि दो सप्ताहमें आंतकवादविरोधी दलद्वारा की किए गई ए सिफारिसंदर्भमें सरकार अपनी भूमिव स्पष्ट करे । मुंबईमें ‘अभिनव भारत’ सामाजिक संस्थाके द्वारा विश्वस्तन्यासी पंकज प्रविष्ट याचिकापर न्यायमूर्र्ति डी.डी. सिन्हा एवं न्यायमूर्ति विजया कापसे ताहिलरामाणीके खंडपीठके समक्ष सुनवाई हुई । इस अवसरपर न्यायालयद्वारा यह निर्देश दिए गए, ऐसा समाचार दैनिक‘लोकसत्ता’ द्वारा प्रकाशित किया गया है ।
इस समाचारमें आगे कहा गया है कि,
१. आतंकवादी कार्यवाहियोंसे पुणेकी ‘अभिनव भारत’ संस्थाका नाम जोडा गया है । उन्होंने दावा किया है कि केवल नामसाधर्म्यके कारण हमारी संस्थाको अडचनोंका सामना करना पड रहा है, इसलिए याचिकाद्वारा निवेदन दिया गया है कि पुणेमें स्थित संस्थाका नाम परिवर्तित करनेके आदेश दिए जाएं ।
२. बुधवारकी सुनवाईमें फडणीसद्वारा युक्तिवाद करते समय सनातन संस्था एवं पुणेकी अभिनव भारत, दोनों संस्थाएं आतंकवादी कार्यवाहियोंमें सहभागी होनेके कारण उनपर प्रतिबंध लगानेकी सिफारिश पुलिसद्वारा की गई थी । इस संदर्भमें सितंबर २०११ में संसदमें चर्चा हुई थी । समाचारपत्रमें प्रकाशित समाचारोंका प्रमाण देते हुए फडणीसद्वारा यह बात न्यायालयके समक्ष लानेका प्रयास किया; परंतु केवल समाचारपत्रमें प्रकाशित समाचारके आधारपर ही आपने प्रतिबंध लगानेकी सिफारिश की, ऐसी विचारणा न्यायालयद्वारा फडणीसको की गई ।
३. इसपर फडणीसद्वारा दावा किया गया कि उन्होंने स्वयं आतंकवादविरोधीदलके अधिकारियोंकी भेंट लेकर जांच की ।
४. ऐसा होते हुए भी राज्य सरकारद्वारा ‘सनातन’ पर प्रतिबंध लगानेकी मांग करनेवाली एक जनहित याचिकापर प्रतिज्ञापत्र सादर करते समय केवल ‘सनातन’ के ही संदर्भमें आतंकवादविरोधी दलद्वारा सिफारिश करनेका प्रस्ताव केंद्रशासनको भेजा गया है ऐसा अंकित किया गया है इस बातपर न्यायालयका ध्यान आकर्षित किया गया ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात