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भारत, भूतान और नेपालमें हिंदु संस्कृतिनुसार शासनतंत्र आवश्यक : पुरी पीठाधीश्वर श्रीमजगद्ग गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंदसरस्वती

पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी

गोवा : भारतीय व्यवस्थाओंपर पडी पश्चिमी राष्ट्रोंकी छाया दूर करना, साथ ही शिक्षापद्धति और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रकल्प वेदोंके आधारसे कार्यान्वित करना, इन मार्गोंद्वारा ही भारतवर्षमें हिंदु राष्ट्र प्रत्यक्षमें आएगा । इस उद्देश्यसे गोवामें संपन्न हो रहा तृतीय अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशन सफल हो, ऐसे शुभाशीष पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजने दिए हैं । २० से २६ जूनकी कालावधिमें गोवामें हो रहे राष्ट्रस्तरीय हिंदु अधिवेशनके निमित्तसे हिंदु जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीने रतनपुर (छत्तीसगढ) में महाराजके आशीर्वाद लिए, तब वे बोल रहे थे ।

श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंदसरस्वतीजी महाराजने इस समय कहा, आजके आधुनिक युगमें भी विश्वको रामराज्य देनेवाला हिंदु धर्म दार्शनिक, व्यावहारिक और वैज्ञानिक सिद्धांतोंपर सर्वोत्कृष्ट है । वर्तमान राज्यकर्ताओंका प्राकृतिक संसाधनोंका विनाश करनेवाला विकास विश्वको विनाशकी खाईमें धकेलनेवाला भस्मासुर है । इससे बचनेके लिए भारत, भूतान और नेपाल इन देशोंमें हिंदु संस्कृतिनुसार शासनव्यवस्था स्थापित होना आवश्यक है ।

योगगुरु पू. रामदेवबाबाने भी मुंबईमें तृतीय अखिल भारतीय हिंदु अधिवेशनके लिए शुभकामनाएं दी हैं । उनके प्रतिनिधि इस अधिवेशनमें सहभाग लेनेवाले हैं ।

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