देश में कथित असहिष्णुता बढने का कारण देते हुए ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावादी एवं वामपंथी विचारक हो-हल्ला मचा रहे हैं । अब देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी असहिष्णुता का सूत्र उठाया है । कल हुए एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, देश का वातावरण चुनौती पूर्ण है ।
लोगों को अपने विचार व्यक्त करने पर प्रताडित किया जा रहा है । असहिष्णुता की घटनाओं की प्रत्येक सही व्यक्ति ने निंदा की है ।
हम मनमोहन सिंहजी से पूछना चाहते हैं कि, जिहादी आतंक के कारण जब कश्मीर के साडे चार लाख हिन्दू विस्थापित हुए थे, तब इन्हीं सही व्यक्तियों ने इस घटना की निंदा क्यों नहीं की थी ? – हिन्दूजागृति
मनमोहन सिंह ने आगे कहा, किसी व्यक्ति का धर्म उसकी नीजी बात है । सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती । धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में, कोई भी धर्म किसी सामाजिक नीती का आधार नहीं बन सकता ।
यहां हम सिंहजी को याद दिलाना चाहते हैं कि, उनके शासनकाल में वर्ष दो सहस्र सात में उन्होंने कहा था कि, इस देशकी साधन-संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है । इसपर उन्हें क्या कहना है ? – हिन्दूजागृति
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स