ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
- आजाद मैदानके दंगेके समय धर्मांधोंने महिला पुलिसकर्मियोंकी आब्रूपर आघात किया था । इस विषयमें पुलिसद्वारा वहां एकत्रित संगठनके प्रमुखोंको आजतक नियंत्रणमें नहीं लिया गया । तब भी केवल हिंदुओंके नेताओंको बंदी बनानेवाली हिंदुद्रोही पुलिस !
- हिंदुओ, आपके नेताओंको बंदी बनाकर हिंदुत्वके आंदोलनकी धज्जियां उडानेकी इच्छा रखनेवाले कांग्रेसी पुलिसकर्मियोंको इस विषयमें फटकारे !
![]() |
पुणे – यहांके एक धर्मांधकी अज्ञातोंने हत्या की; परंतु इस संदर्भमें पुलिसकर्मियोंद्वारा अबतक ‘हिंदु राष्ट्र सेना’ के संस्थापक अध्यक्ष श्री. धनंजय देसाई एवं १४ कार्यकर्ताओंको बंदी बनाया गया है । (क्या आजतक कभी ऐसा हुआ है कि किसी संगठनके कार्यकर्ताओंने कोई अनुचित कृत्य किया एवं उस संस्थाके प्रमुखको पुलिससद्वारा बंदी बनाया गया ? यहां तो यह भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि उस धर्मांध व्यक्तिको किसने मारा है । तब भी इस प्रकारसे पुलिसद्वारा ‘हिंदु राष्ट्र सेना’के संस्थापक अध्यक्ष श्री. धनंजय देसाईको बंदी बनाए जानेसे उनका हिंदुद्वेष ही स्पष्ट होता है । ऐसी हिंदुद्वेषी पुलिस आजाद मैदानसमान दंगेमें मारे जाते समय क्या हिंदु उन्हें कभी सहायता करेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. आय.टी. क्षेत्रमें काम करनेवाला मोहसीन शेख (आयु २४ वर्षे) हडपसरके बैंक कालोनीमें रहता था ।
२. ‘फेसबुक’ पर हिंदुओंके आस्थास्रोतोंका अवमान करनेके उपरांत हिंदुओंने हडपसरमें आंदोलन किया । इस अवसरपर ‘हिंदु राष्ट्र सेना’ के कार्यकर्ता भी विविध स्थानोंपर निषेध प्रविष्ट कर रहे थे ।
३. मोहसीन उसके मित्र रियाजके साथ नमाजपठन कर मस्जिदसे बाहर आया । कुछ अंतर चलनेपर एक समूहने उसपर आक्रमण किया ।
४. इस समय रियाजने पलायन किया एवं उसने अन्य धर्मांधोंको आमंत्रित किया । तबतक समूहने पलायन किया था । नागरिकोंने मोहसीनको चिकित्सालयमें प्रविष्ट किया; परंतु तबतक उसकी मृत्यु हो गई थी ।
५. तदुपरांत वहां पुलिस आई एवं उसने मोहसीनके मृतदेहके पासके वाहनसे ‘हिंदु राष्ट्र सेना’के ७ कार्यकर्ताओंको रात्रि विलंबसे नियंत्रणमें लिया । तत्पश्चात ४ जूनको दिनभरमें अन्य ७ लोगोंको बंदी बनाया गया है ।
६. तदुपरांत श्री. देसाईको पूछताछके लिए आमंत्रित किया गया एवं उन्हें भी पुलिसद्वारा बंदी बनाया गया है ।
धनंजय देसाईने हत्याका आरोप अस्वीकार किया !
बंदी बनाए जानेसे पूर्र्व हिंदु राष्ट्र सेनाके संस्थापक अध्यक्ष श्री. धनंजय देसाईने प्रसारमाध्यमोंसे बोलते हुए कहा कि हिंदुओंके आस्थास्रोतोंका अवमान हम नहीं सहन करेंगे; परंतु इसके लिए किसी भी निष्पाप व्यक्तिके प्राण लेना चूक है । हमारे किसी भी कार्यकर्ताने आजतक इस प्रकारसे किसी निष्पाप व्यक्तिपर आक्रमण नहीं किया है ।
‘इंडियन एक्स्प्रेस’ समाचारपत्रद्वारा सनातन संस्थाकी अपकीर्ति !
इस संदर्भमें समाचार देते समय ‘इंडियन एक्स्प्रेस’ने हिंदुद्वेष करनेकी इच्छापूर्ति कर ली है । (कंड भागवून घेतला आहे.) उन्होंने दिए समाचारमें कहा गया है कि धनंजय देसाईके विरुद्ध २३ अभियोग प्रविष्ट हैं । इसमें अप्रैल २००७ में स्टार न्यूजके मुंबईके कार्यालयपर एवं संजय दत्तके घरके सामने किए गए आंदोलनका समावेश है । उन्होंने श्री. प्रमोद मुतालिकके साथ व्यासमंचसे मार्गदर्शन किया है । देसाई सनातन संस्थाके व्यासपीठपर प्रमुख अतिथिके रूपमें उपस्थित रहते थे । गडकरी रंगायतनके बमविस्फोटमें एक अपराधी एवं सनातन संस्थाके श्री. विक्रम भावेके कार्यक्रममें वे प्रमुख अतिथिके रूपमें उपस्थित थे । (श्रीराम सेनाके श्री. प्रमोद मुतालिक एवं सनातन संस्था कोई आतंकवादी नहीं है । यदि सनातनके व्यासमंचसे श्री. देसाईने हिंदुओंको मार्गदर्शन किया, तो उसमें चूक क्या है ? यह मार्गदर्शन उस-उस दिनके ‘सनातन प्रभात’के माध्यमसे प्रसिद्ध किए गए है । ऐसा होते हुए भी इस विषयमें इस प्रकारकी चूक पद्धतिसे प्रसिदि्ध करनेके पीछे हिंदुद्वेष नहीं, तो और क्या है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) हिंदु राष्ट्र सेनाके कार्यकर्ता देसाईको ‘धनवान व्यक्तियोंको लूटकर हिंदुओंके कार्यके लिए निधि देनेवाला ‘रॉबिनहूड‘ मानकर उनकी केशरचनाका भी नकल करते हैं । एक वरिष्ठ पुलिसने कहा कि श्री. देसाई हे खंडनीखोर हैं ।’
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात