चंदरकोट (जम्मू) – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर में १९४७ में आए पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों का पुनर्वास और राज्य से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी एवं पुनर्वास उनकी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण दायित्व है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिए घोषित ८० हजार करोड रुपये के पैकेज के तहत उक्त दोनों कार्य भी किए जाएंगे।
श्रीनगर में पैकेज की घोषणा करने के बाद यहां बगलिहार बिजली परियोजना के दूसरे चरण का उदघाटन करते हुए मोदी ने कहा, ‘वर्ष १९४७ के विस्थापित हों या कश्मीर से विस्थापित पंडित, समय की मांग है कि सभी के पुनर्वास और सम्मान की जिंदगी की व्यवस्था की जाए।’
उन्होंने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर को जो मुश्किलें झेलनी पड़ी, वो भारत के अन्य राज्यों को नहीं झेलनी पड़ी। १९४७ में लाखों की संख्या में विस्थापित (तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान से) इस भूभाग पर आए। १५ से २० प्रतिशत जनसंख्या यहां विस्थापित के रूप में है। यह छोटी वेदना नहीं है, बडी पीडा है।’
शनिवार को घोषित पैकेज को राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा पैकेज बताते हुए मोदी ने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर जिन समस्याओं से जूझ रहा है, ८० हजार करोड रुपये के पैकेज में उन सभी समस्याओं को हल करने का प्रावधान है। जिनमें १९४७ से अब तक के विस्थापितों का पुनर्वास भी शामिल है।’
उल्लेखनीय है कि १९४७ में तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान से लगभग ५५ हजार परिवार शरणार्थियों के रूप में यहां आए थे। उन्हें राज्य के नागरिक के रूप में कोई मान्यता नहीं दी गई, जिसके चलते वे न तो राज्य में जमीन की खरीदी कर सकते हैं और न ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं। इसके अलावा राज्य में उग्रवाद के बढने पर १९९० के दशक में लगभग ५९ हजार कश्मीरी पंडितों के परिवार घाटी से चले गए।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स