आषाढ कृष्ण पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
प्रधानमंत्री मा. नरेंद्र मोदी एवं अन्य हिंदुनिष्ठ नेताओंको यह ध्यानमें लेना चाहिए कि केवल विकाससे नहीं, अपितु विकासके साथ धर्मके आधारपर राष्ट्रका सर्वंकष उत्कर्ष होता है ! – पू. संदीप आलशी
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विकासके बलपर गुजराथको प्रसिद्ध करनेवाले मा. नरेंद्र मोदी आज देशके प्रधानमंत्रीपदपर विराजमान हैं । भारतियोंको उनसे देशके विकासकी अपेक्षा है । हमें भी यही अपेक्षा है । भारतमें सुशासन, सुरक्षितता एवं संपन्नता किसे नहीं चाहिए ? ऐसी स्थितिमें भी राष्ट्रका उत्कर्ष केवल विकाससे नहीं, अपितु विकासके साथ धर्मके आधारपर राष्ट्रका सर्वंकष उत्कर्ष होता है, यह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं अन्य हिंदुनिष्ठ नेताओंको ध्यानमें लेना चाहिए ।
१. ९ जूनको राष्ट्रपती प्रणव मुखर्जीने संसदमें किए अभिभाषणमें कहा कि केंद्रशासन अर्थात मोदी सरकारने सबका विकास करनेकी शपथ ली है; परंतु धर्म एवं हिंदुत्वकी रक्षाके विषयमें कुछ नहीं बोला । आज हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन, गोहत्या, मंदिरोंकी विडंबना आदि माध्यमोंद्वारा धर्मकी प्रचंड हानि हो रही है । 'अधर्म एव मूलं सर्वरोगाणाम् ।', ऐसा वचन है । इसका अर्थ, 'अधर्म ही सब रोगोंका मूल है' । वर्तमान समयमें देश अराजकता, विघटनवाद, दरिद्रता, अनैतिकता इत्यादि रोगोंसे ग्रस्त है । मा.नरेंद्र मोदी यह न भूलें कि इन सबका मूल अधर्माचरणमें ही है ।
२. विकासके आधारपर आर्थिक संपन्नता आएगी एवं मनुष्यको भौतिक सुख मिलेंगे; परंतु क्या आंतरिक सुख (सच्चा आनंद) मिलेगा ? केवल भौतिक सुखसे ही सबकुछ होता, तो आज अमेरिका समान पश्चिमी सभ्यतावाले देशके लोग सच्चे सुखको ढूंढने हेतु भारतमें किसलिए आते हैं एवं हिंदु धर्मके अनुसार साधना क्यों करते हैं ? केवल भौतिक सुखके कारण मनुष्यकी मानसिकता और भी विलासी एवं भोगवादी बनेगी । इसके कारण बढनेवाला भ्रष्टाचार, अनैतिकता, बलात्कार समान गंभीर समस्याओंपर मा. नरेंद्र मोदी किसप्रकारसे अंकूश रखेंगे ?
३. वास्तवमें इतिहास सीख लेनेके लिए होता है । एक समय आर्य चाणक्यने भी मगध देशपर दुष्ट नंदराजका अन्यायकारी शासन पलटानेकी शपथ ली एवं चंद्रगुप्त मौर्यकी सहायतासे उसे पूरा किया । चाणक्य धर्माचार्य थे, जबकि चंद्रगुप्त उनके सर्वोत्कृष्ट शिष्य थे । चाणक्य एवं चंद्रगुप्तने केवल मगध देशके ही नहीं, अपितु भारतवर्षके उत्थानके लिए छेडे गए आंदोलनको धर्मकी नीव थी । इसीलिए आगे सम्राट चंद्रगुप्तका शासन अनेक वर्षोंतक भली-भांति स्थिर रह सका । मा. नरेंद्र मोदीको भारतके इस इतिहासको क्यों भूलते हैं ? मा. नरेंद्र मोदी एवं सर्वत्रके ही हिंदुनिष्ठ नेताओंने राष्ट्रीय जीवनमें धर्मके अनन्यसाधारण महत्त्वको जानकर धर्मकी आधारशीलापर ही राष्ट्रके विकासका संकल्प करना चाहिए; तभी उनका राष्ट्रके विकासका सपना खरे अर्थसे प्रत्यक्षमें पूरा होगा !
हिंदु धर्मबंधुओ, हिंदुनिष्ठ नेताओंको यह सब अवगत करानेका आपके कर्तव्यका भी निर्वाह करें । तभी भारतकी सुराज्यमें रूपांतरित होनेकी संभावना है !
– (पू.) श्री. संदीप आलशी
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात