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टीपू सुलतान ने हिन्दुओं पर किए हु्ए अत्याचारों का युरोपीय यात्री द्वारा आंखों देखा वर्णन

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पहले 30000 बर्बर लोगों (मुसलमानों) की सेना आई। उसके पीछे फ्रेंच कमांडर लेली का तोपखाना था। टीपू सुल्तान हाथी पर सवार था उसके पीछे 30000 मुसलमानों की एक सेना और चल रही थी।

उस समय कालीकट के अधिकांश स्त्री-पुरुषों को फांसी पर लटका दिया गया । पहले माताओं को फांसी दी गयी उनके बच्चे उनकी गर्दन से बंधे हुये थे उस नृशंस हत्यारे टीपू ने हिन्दू और इसाईयों को हाथी के पैरों से बंधवाकर इतना घसीटवाया की उन लाचार लोगों के शरीर के चिथड़े चिथड़े हो गए।

हिन्दू मंदिर और गिरजाघरों को अपवित्र कर जला दिया गया और जिन लोगों ने मुसलमान बनने से इंकार किया उनका उसी स्थान पर तत्काल वध कर दिया गया।

बार्तोंलोमाको का कहना है उक्त तथ्य उसने उन लोगों से इकट्ठे किए जो टीपू सुल्तान की सेना से किसी प्रकार बच कर भाग निकले और वरापूझा पहुँचने मैं सफल हुये।

उसने स्वयं भी बहुत से लोगों को वारापूझा नदी पार कराने में सहायता की थी। यह स्थान कार माइकल क्रिश्चियन मिशन का केंद्र हुआ करता था।

वो आगे बताता है कि जब टीपू सुल्तान को लगा कि उसकी सेना की पराजय अंग्रेजी सेनाओं द्वारा निश्चित है तो उसने बचे खुचे हिन्दू मंदिरों और उसके पुजारियों को दान देकर अपने लिए हिन्दू देवताओं से प्रार्थना करने की याचना की !

स्त्रोत : रिवोल्ट

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