आषाढ कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
. २० हिन्दू गंभीर रूपसे घायल
. पुलिसकर्मियोंद्वारा परिवाद प्रविष्ट करना अस्वीकार !
. समाजवादी पक्षको चुनकर देनेवाले हिंदुओंके लिए यह दंड ही है !
मुजफ्फरनगर(उत्तर प्रदेश) : उत्तरप्रदेशके शामली जिलेमें चौसाना गांवमें मंदिरके समीपसे जानेवाले गंदी नालीकी वाहिनीको हिंदुओंद्वारा विरोध होनेके कारण धर्मांधोंने किए आक्रमणमें २० हिंदु गंभीर रूपसे घायल हो गए हैं । पुलिसकर्मियोंद्वारा इस घटनापर समय रहते ही ध्यान नहीं दिया गया । इसलिए घायल हिंदुओंकी संख्यामें इतनी वृद्धि हो गई ।
१. चौसाना गांवके पंचायतके सरपंचके पदपर मुसलमान व्यक्ति है । सरपंचने गांवका गंदा पानी बहाकर ले जानेकी व्यवस्था करने हेतु कुछ मंदिरोंका स्थलांतर करनेकी भूमिका अपनाई । ( कोई हिंदु सरपंच क्या कभी किसी मस्जिदके विषयमें ऐसी भूमिका अपना सकता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. इसको हिंदुओंने विरोध किया, तो गंदे पानीकी वाहिनीका काम दूसरे मार्गसे करनेका निर्णय लिया गया; परंतु यह गंदा पानी बिना किसी प्रक्रियाके मंदिरके समीप ही छोडा जानेवाला था । इसे हिंदुओंने विरोध किया; इसलिए धर्मांध मुसलमानोंने हिंदुओंपर आक्रमण किया । (उत्तरप्रदेशमें भाजपाके अब ७१ सांसद चुनकर आए हैं तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह उत्तरप्रदेशके हैं । तब भी क्या भाजपा उत्तरप्रदेशके हिंदुओंपर होनेवाले आक्रमण नहीं रोक सकते ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. दंगे चालू होनेपर एक महिलाने पुलिस थानेसे संपर्क किया, तो वहांके अधिकारी चायपान कर रहे थे । उसे पुलिसने ‘१-२ लोग मरनेके पश्चात हमारे पास आना’ ऐसा कहकर वापिस भेजा । (ऐसे पुलिसकर्मियोंको ‘हिंदु राष्ट्र’ में आजन्म कठोर साधना करनेका दंड दिया जाएगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. पुलिसद्वारा यदि त्वरित कार्यवाही की गई होती, तो घायल हिंदुओंकी संख्या न्यून हो गई होती । अंततः जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालयद्वारा पुलिसको आदेश देनेपर परिवाद प्रविष्ट किया गया ।
५. आक्रमण करनेवाले धर्मांध भारी संख्यामें थे, तब भी पुलिसकर्मियोंने केवल २ धर्मांधोंको ही नियंत्रणमें लिया है । (ऐसी पुलिस यदि धर्मांधोंके हाथों मारी गई, तो क्या हिंदुओंको कभी दुःख होगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात