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हिन्दुओ, सावधान ! कब्र में गढे ‘क्रूरकर्मा टीपू सुलतान’ को पुनर्जिवीत किया जा रहा है !

क्या, भारतियोंको धर्मांध टीपू सुलतान के विषय में ‘यह’ सत्य ज्ञात है ?

कांग्रेस सरकारद्वारा कर्नाटक में टीपू सुलतान की शासकीय जयंती मनाई गई। इसलिए वहां हिन्दू धर्मियों में नाराजी उत्पन्न हो गई है।

हिन्दुओंके असंख्य मंदिरोंको ध्वस्त करनेवाले क्रूरकर्मा टीपू सुलतान की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से करनेवाले गिरीश कर्नाड को क्षमायाचना भी करनी पडी !

टीपू सुलतान का उदात्तीकरण करनेवाली घटना नई नहीं है ! इस से पूर्व भी ‘दूरदर्शन’ के शासकीय दूरचित्रवाहिनी पर ‘द सोर्ड ऑफ टीपू सुलतान’ मालिका चलाई गई थी। ४ वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के अकोला महानगरपालिका के मुसलमान उपमहापौरद्वारा पालिका सभागृह को ‘टीपू सुलतान’ नाम देने का षडयंत्र रचाया गया था।

१. कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष कार्यकाल में टीपू सुलतान के उदात्तीकरण का प्रारंभ !

‘चार वर्ष पूर्व केंद्र में कांग्रेस पक्ष की सत्ता रहते में ‘बकरी ईद’ को महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्योंके हर एक नगर के ‘मुहल्लों’ में बड़े बड़े कट-आऊट्स, होर्डिंग्स एवं भित्तिपत्रकोंपर भारत का एक नया ‘भाग्यविधाता’ चमक उठा ! इन होर्डिंग्स पर बिना मुछ के; परंतु दाढी रखे हुए राजनीतिज्ञोंके छायाचित्र रेखांकित थे। उन्हें देख कर कोई भी कहेगा कि, ‘ये छायाचित्र पुलिस चौकी में लगाए गए ‘मोस्ट वांटेड’ गुंडोंके छायाचित्रों के तो नहीं !’ खैर, जो भी हो ….

२. टीपू के उदात्तीकरण का मूल है दूरदर्शन पर दिखाई जानेवाली ‘द सोर्ड ऑफ टीपू सुलतान’ मालिका !

२० वर्ष पूर्व ‘दूरदर्शन’ शासकीय दूरचित्र वाहिनी पर संजय खान की ‘द सोर्ड ऑफ टीपू सुलतान’ मालिका दिखाई गई। इस मालिका में टीपू की क्रूरता सौम्य रूप से दर्शाई गई। इस कार्यक्रम से पूर्व ‘इस मालिका में सभी पात्र एवं घटनाक्रम काल्पनिक हैं’, ऐसा बतानेवाला संजय खान इस मालिका के माध्यम से ‘अंग्रेजोंके विरोध में लडनेवाला भारत का स्वतंत्रता सेनानी’ ऐसी टीपू की प्रतिमा को दिखलाने में सफल सिद्ध हुआ, और यहीं से टीपू के उदात्तीकरण का दौर शुरू हुआ।

आज की धर्मनिरपेक्ष शिक्षाप्रणाली के कारण टीपू का ‘म्हैसुर का टाईगर’, इन शब्दों में गौरव किया जाता है। कर्नाटक में इतिहास के शालेय पुस्तकोंद्वारा सत्य इतिहास दबाया जा रहा है एवं धर्मांधो का कार्यकाल वैभवशाली बताया जा रहा है। अब तो, कर्नाटक में ‘अलिगढ विश्वविद्यालय’ समान टीपू सुलतान के नाम से ‘इस्लामी विश्वविद्यालय’ बनाने का षडयंत्र चालू है !

३. महाराष्ट्र में अकोला महापालिका के उपमहापौरद्वारा सभागृह को ‘टीपू सुलतान’ का नाम देने का षडयंत्र !

अकोला महानगरपालिका के मुसलमान उपमहापौर ने महापालिका की गणसंख्या न्यून है देख कर पालिका सभागृह को ‘टीपू सुलतान’ नाम देने का प्रस्ताव सम्मत करा लिया।

विद्यालयों में स्वतंत्रता सेनानी कह कर सिखाया जानेवाला टीपू का इतिहास, रास्ते पर टीपू की होर्डिंग्ज, महापालिका सभागृह को टीपू का नाम, दूरदर्शन पर टीपू की मालिका सब नियोजित रूप से चालू है, जो टीपू सुलतान का उदात्तीकरण है !

४. क्या भारतियोंको धर्मांध टीपू सुलतान के विषय में यह सत्य ज्ञात है ?

‘टीपू सुलतान पूरे दक्षिण भारत को इस्लामी बनानेवाला था; परंतु अंग्रेजोंके विरोध के कारण उसका यह सपना विफल हो गया। अंग्रेजोंद्वारा जीता, स्वयं के (नहीं, हिन्दू राजाओंद्वारा छीन कर लिया हुआ) राज्य को मुक्त करने हेतु उसने अंग्रेजोंसे युद्ध किया। उसने देश की स्वतंत्रता के लिए कभी लडाई नहीं की। ऐसी स्थिति में उसे ‘स्वतंत्रता सेनानी’ कहना, कैसे उचित होगा ? यदि वो स्वतंत्रता सेनानी होता, तो बाबर, औरंगजेब, अफजलखान तथा गजनी के महंम्मद समान आक्रमक कौन थे ? क्या वे भी स्वतंत्रता सेनानी थे ?

५. दक्षिण के सभी हिन्दू काफिरोंको मुसलमान करने हेतु प्रतिबद्ध, ‘धर्मांध टीपू सुलतान !’

टीपू सुलतान ने दक्षिण की सत्ता हाथ में आते ही ‘सभी काफिरोंको (हिन्दुओंको) मुसलमान करेंगे’ ऐसी भर सभा में प्रतिज्ञा की गई थी !

उसने हर एक गांव के मुसलमानोंको लिखित रूप में सूचित किया कि ‘सारे हिन्दू स्त्री-पुरुषोंको इस्लाम की दीक्षा दें। स्वेच्छा से धर्मपरिवर्तन न करनेवाले हिन्दुओंको बलात्कार से मुसलमान बनाएं अथवा हिन्दू पुरुषोंकी हत्या करें और स्त्रियोंको मुसलमानों में बांट दें।’

आगे टीपूने मलबार क्षेत्र के एक लाख हिन्दुओंको जबरन धर्मान्तरित किया। कर्नाटक की स्वारी में उसने एक दिन में ५० सहस्र हिन्दुओं को जबरन धर्मान्तरित किया था। उसने हिन्दुओंके धर्मपरिवर्तन हेतु कुछ कडवे मुसलमानोंका विशेष समूह खडा किया। आक्रमक इस्लामी प्रचार करने से उसे ‘सुलतान’, ‘गाजी’, ‘इस्लाम का कर्मवीर’ आदि उपाधियां देश-विदेश के मुसलमान एवं तुर्कस्थान के खलिफाद्वारा मिली।

६. टीपू सुलतान के उदात्तीकरण के माध्यम से ‘भारत का इस्लामीकरण’ करने का धर्मांधोंका सपना !

टीपू के इस आक्रमकता को प्रति आव्हान देने का सामर्थ्य न होने से सहस्रो हिन्दू स्त्री-पुरुषोंने अपने बच्चों-कच्चोंको लेकर कृष्णा एवं तुंगभद्रा के पवित्र प्रवाह में जल समाधि ली !

खेती को जलपूर्ति करनेवाले तालाब एवं नहरोंको नष्ट करनेवाले समाजद्वेषी टीपू सुलतान की तुलना भारत के ‘भाग्यविधाता’ छत्रपति शिवाजी महाराज समान महान भारतीय सुपुत्र से हो ही नहीं सकती !

जिन्हें टीपू सुलतानद्वारा किए गए अत्याचार एवं राष्ट्रविनाशक कार्रवाईयोंकी कर्म कहानी जान लेना है, उनको चाहिए कि वे ‘ए जर्नी फ्रॉम मद्रास थ्रू द कंट्रीज ऑफ म्हैसोर, कॅनरा अॅण्ड मलबार’ ग्रंथ अच्छी तरह पढ कर देखें ! यदि हिन्दू समाज समझ गया कि, सच्चा टीपू सुलतान कैसा था, तो टीपू के वर्तमान में होनेवाले उदात्तिकरण का भावार्थ हिन्दुओंके ध्यान में आएगा !

सत्य यही है कि, भारत के धर्मांध लोग टीपू के माध्यम से भारत का इस्लामीकरण का सपना सत्य में लाना चाहते हैं !

७. हिन्दुओ, छत्रपति शिवाजी महाराज से तुलना कर भारत का ‘भाग्यविधाता’ संबोधित कर टीपू को पुनर्जिवीत करने का प्रयत्न विफल करें !

जिस भूप्रदेश को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्य कहा जाता है, उस भूप्रदेश में एवं जिस छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘भारत का भाग्यविधाता’ के रूप में पहचाना जाता है, उस भारत में नया तथाकथित ‘भाग्यविधाता’ उत्पन्न होना चाहता है !

हां, दक्षिण भारतीय इतिहास में ‘क्रूरकर्मा’ के रूप में कुख्याति प्राप्त मैसुर के सुलतान ‘टीपू’ भारत का नया ‘भाग्यविधाता’ बन रहा है। धर्मांधोंकी चापलूसी हेतु कर्नाटक राज्य में सत्ता रहनेवाले कांग्रेस दलद्वारा कबर में गढ़ा हुआ ‘टीपू सुलतान’ नियोजनबद्ध रूप से पुनर्जिवीत करने का प्रयत्न चालू किया जा रहा है !

‘भारत का भाग्यविधाता’ संबोधित कर उस मृतात्मा को अमर करने हेतु नवसंजीवनी दी जा रही है ! छत्रपति के राज्य का वारिस ‘सुलतान’ होना चाहता है, क्या आप को यह स्वीकार है ? नहीं ना; इस लिए हिन्दुओ, सावधान !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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