नई देहली – एक भेंटवार्ता में (इंटरव्यू) त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने कहा, निजी स्तर पर मैं इसे उचित नहीं मानता, परंतु लोग चाहें तो सार्वजनिक रूप से गोमांस खा सकते हैं । लोगों को अधिकार है कि, वे अपनी पसंद का खान-पान करें । परंतु स्थिती तब संतुलित होगी, जब मुसलमान भी सार्वजनिक रूप से सुअर खाएं । ऐसा होने पर ही हम इसे वास्तव में असहिष्णुता के विरुद्ध युद्ध कह सकते हैं । कुछ दिनों पहले, हमने देखा था कि कोलकाता के भूतपूर्व महापौर और कम्युनिस्ट नेता बिकास भट्टाचार्य ने सबके सामने गोमांस खाया था । उनकी प्रशंसा मैं तब करता, जब वे अपने सहयोगी और कम्युनिस्ट सांसद मुहम्मद सलीम को अपने साथ लाते और दोनों मिलकर सुअर भी खाते । ऐसा होता तो बीफ फेस्टिवल की आलोचना करने का मेरे पास कोई कारण न रहता ।
रॉय ने आगे कहा की, लोग दादरी की घटना की निंदा करते हैं, परंतु १९९० के दशक में बंगाल में हुए सबसे भयानक सांप्रदायिक दंगों के बारे में कुछ नहीं बोलते । प्रसारमाध्यमों ने उनका समाचार ही नहीं दिया था । प्रसारमाध्यम गुजरात दंगे तो याद करते हैं, परंतु जब देहली में सिख और मुजफ्फरनगर में हिन्दू जलते हैं, तो वह पीछे हट जाते हैं । इस आचरण से एक पक्षीय असहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है ।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर