आषाढ कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
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आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लीवेंट (आईएसआईएस) के आतंकवादियों ने इराक के चार शहरों पर कब्जा कर लिया गया है। सुन्नियों के इस इस्लामिक समूह ने, इराक पर यह हमला सिर्फ शिया समुदाय को दबाने के लिए ही नहीं किया, बल्कि यह हमला जेहादी विचारधारा के फैलाव की ओर भी इंगित कर रही है। २००६ में बना यह आतंकी समूह, पिछले कुछ हफ्तों से बगदाद में तबाही मचा कर अपने होने की जोरदार घोषणा कर रहा है। इराक युद्ध के शुरूआती दिनों में आईएसआईएस ने २००४ में अलकायदा के अंतर्गत अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। लेकिन २००६ से इसने अपनी शक्ति का लोहा मनवाया और सीमा रेखा पार जाकर भी जेहादी विचारधारा का प्रमुखता के साथ प्रचार प्रसार किया।
ग्लोबल जिहाद मुहिम के अंर्तगत आतंकी कश्मीर की जनता को भी इस अभियान में शामिल होने की जबरदस्त नहीसत दे रहे हैं। हर देश के लिए विभिन्न युक्तियों और नीतियों को लिए इस समूह की नजर उत्तर- पश्चिम भारत पर भी गड़ी हैं। जिसमें गुजरात के कुछ हिस्से भी सम्मलित हैं। हाल ही में अलकायदा द्वारा कश्मीर के लोगों को उकसाने का मामला भी सामने आया है। जिसमें आतंकी कश्मीर के लोगों को जिहाद के प्रति और इराक एवं सीरीया में अपने भाईयों की मदद के लिए उकसाते नजर आए। यह हमला कहीं न कहीं विश्व पटल पर जेहादी विचारधारा के लिए गंभीर स्थिति बनाती नजर आ रही है। खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए यह एक खतरनाक हालात पैदा कर सकती है। इनकी संख्या में लगातार हो रही वृद्धि और इनके नापाक़ इरादों को देखते हुए, इस आतंकवादी समूह को नजरअंदाज करना नासमझी होगी। विश्व को इस्लाम प्रभुत्व बनाने के इरादों पर यह समूह लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। भारत को इस तथ्य को भूलना नहीं चाहिए, कि २००६ में अफगानिस्तान में तालिबान ने पाकिस्तान की मदद से ही भारत के खिलाफ क्रास बार्डर आतंक मचाया था। वैसे तो पाकिस्तान में अलकायदा एवं अन्य आतंकी समूह के लिए आईएसआई का मौन समर्थन या टाल मटोल किए जाने को पाकिस्तान पिछले कुछ दिनोंं में झेल चुका है। ८ जून को जिन्ना अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुए आतंकी हमले ने पूरे पाकिस्तान को दहला दिया था।परंतु पाकिस्तान में हो रहे इन हमलों से भारत को भी सावधान रहने की जरुरत है। इराक का यह युद्ध गृहयुद्ध में तबदील होने के साथ ही इसका प्रभाव समूचे पश्चिम ऐशिया पर पड़ेगा। वहीं, जेहादी विचारधारा हमेशा से पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर खासा प्रभावशाली रहते हैं। लिहाजा, भारत के लिए यह खतरे की घंटी साबित होने के पूरे आसार हैं।
स्त्रोत : one india