केंद्र सरकार हिंदू संत आदि शंकराचार्य के जन्मदिवस को अगले वर्ष से देशभर में ‘दार्शनिक दिवस’ के रूप में मनाने की अनुमति देने वाली है। संस्कृति मंत्रालय ने बताया कि, सरकार ने शृंगेरी मठ की ओर से आया प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। आदि शंकराचार्य ने ८ वीं शताब्दी में कर्नाटक में इस मठ की स्थापना की थी। यह मठ उपनिषदों पर शंकराचार्य की टीका और भारतीय दर्शन में उनके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाने के पक्ष में है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘अब हम लॉजिस्टिक्स तय करने की प्रक्रिया में हैं कि कैसे देशभर में इस दिन को मनाया जा सकता है।’
शृंगेरी मठ के अधिकारियों ने ईटी को बताया कि श्रीमद जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने अपने अद्वैत के सिद्धांत से देश में अहम योगदान दिया और इसको पहचान दिलाने और प्रोत्साहित करने से जुड़ी आवश्यकता को लेकर पिछले साल हमने केंद्र सरकार को लिखा था। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इसके बाद पीएमओ ने मंत्रालय से इस प्रस्ताव के बारे में विचार करने को कहा। श्री शृंगेरी मठ के मुख्य अधिकारी और प्रशासक वी आर गौरीशंकर ने कहा, ‘ मंत्रालय ने हमारा प्रस्ताव स्वीकार किया और हमें सुझाव दिया कि, क्या हम राज्य सरकारों से संपर्क कर सकते हैं। हमने उन्हें बताया कि न केवल राज्य, बल्कि केंद्र सरकार आदि शंकराचार्य को सम्मान देने और उनके दर्शन को बढ़ावा देने का प्रयास करें।’
उन्होंने बताया, ‘शृंगेरी जैसी छोटी जगह में बैठकर हमारे लिए सभी राज्यों से बातचीत करना संभव नहीं है।’ हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि, आदि शंकराचार्य ने चार धाम के विचार की कल्पना की। चार धाम (बद्रीनाथ, रामेश्वरम, पुरी और द्वारका) का मतलब है कि भारत में चारों दिशाओं में भगवान के चार पवित्र तीर्थस्थान। गौरीशंकर ने बताया, ‘आदि शंकराचार्य ऐसे संत थे, जिन्होंने बिखरे हुए हिंदुत्व को फिर से एक किया।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स