इंदौर : पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक तारेक फतेह ने भी भारत में चल रहे पुरस्कार वापसी के श्रृंखला की आलोचना की है । वे हाल ही में भारत के दौरे पर आए थे । मध्यप्रदेश में हुए एक कार्यक्रम के समय उन्होंने संवाददाताआेंं से कहा, साहित्यकारों को सरकारी पुरस्कार लौटाने का पूरा अधिकार है । किंतु मुझे उनका यह निर्णय समझदारी भरा नहीं लगता।
इन हस्तियों ने अपने पुरस्कार तब वापस क्यों नहीं किए, जब कट्टरपंथियों ने कश्मीर से हिन्दआें को बाहर निकाल दिया था और केरल में एक प्रोफेसर का हाथ काट दिया था।’
पेरिस पर हाल में हुए आतंकी हमले को ‘क्रिया की प्रतिक्रिया’ बताने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्री आजम खान की भी फतेह ने आलोचना की।
फतेह ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत के मुसलमान लेखकों को धार्मिक कट्टरता के विरोध में आवाज उठानी चाहिए । उन्होंने कहा, भारत के मुसलमान लेखकों को खुलकर कहना चाहिए कि सशस्त्र जिहाद, भारतीय संविधान के विरुद्ध है । इसलिए वे इसे पूर्णत: निरस्त करते हैं ।
इस समाचार से मन में कुछ स्वाभाविक प्रश्न उठते हैं ! एक यह कि, किसी विदेशी लेखक को भारत के मुसलमान लेखकों को यह क्यों बताना पडा ? दूसरी ओर, भारतीय मुसलमान लेखकों ने आज तक जिहादी आतंक का विरोध क्यों नहीं किया ? क्या अब तो वे इसका विरोध करेंगे ? – हिन्दूजागृति
स्त्रोत : पंजाब केसरी