• सभी इतिहासप्रेमी, हिन्दू एवं भारतीयोंके संगठित होने पर ही इतिहास का सत्य स्वरूप समाज के सामने आएगा !
• संस्कृत भाषा को सीमा पार किया गया !
संभाजीनगर (महाराष्ट्र) : यहां के संत एकनाथ रंगमंदिर में १६ नवंबर को ‘स्वतंत्रते भगवती सामाजिक संस्था’ के उपक्रम में ‘क्रांतिकारियोंकी यादें’ एवं ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचार’ इन विषयोंपर बोलते हुए अभिनेता एवं स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अभ्यासक श्री. शरद पोंक्षेद्वारा प्रतिपादित किया गया कि, देश एवं राज्य के विषय में इतिहास ब्रिटिशोंकी दृष्टि से सिखाया गया !
वह मूलतः त्रुटिपूर्ण है एवं वैसा ही आज भी सिखाया जाता है !
हमें ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहलवाते समय लज्जा प्रतीत हो, इस पद्धति से इतिहास रचाया गया है !
उन्होंने आज कहा कि ४१ लडाईयोंको जीतनेवाले प्रथम बाजीराव पेशवे तथा तात्या टोपे के विषय में न सिखाते हुए जगज्जेता अलेक्जांडर के विषय में सिखाया गया। मराठी भाषीय तळपदे ने विमान का शोधन किया, यह बताने के स्थान पर उनके मन पर ऐसा अंकित किया गया कि राईट बंधुओंने उसका शोधन किया। अंग्रेजोंको जैसा चाहिये वैसी पद्धति में इतिहास की रचना की गई।
देश को स्वतंत्रता मिली, तब से ‘संस्कृत भाषा’ को सीमा पार कर, अब तक अंग्रेजी भाषा सिखाई जा रही है।
यदि ऋषियोंकी मौखिक शिक्षा पर अधिक बल दिया गया होता, तो अच्छा होता !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात