-
सामाजिक संकेतस्थल के माध्यम से इतिहासप्रेमियोंद्वारा की गई मांग
-
इतिहासप्रेमी न्यायालय में जाने की सिद्धता में !
पुणे (महाराष्ट्र) : बाजीराव मस्तानी इस आगामी फिल्म का ट्रेलर प्रदर्शित होने के पश्चात यह बात स्पष्ट हुई, कि उसमें इतिहास का अनादर किया गया है !
अतः इस फिल्म के विरोध में सामाजिक संकेतस्थल के माध्यम से विरोध प्रदर्शित किया जा रहा है !
अब इतिहास प्रेमियोंने इस फिल्म के विरोध में सामाजिक संकेतस्थल से अभियान आरंभ किया है। ‘बैन द मुव्ही बाजीराव मस्तानी’ नाम से इतिहास प्रेमी श्रीमती श्रद्धा मेहता ने फेसबुक का एक पेज सिद्ध किया है। उनका कहना है कि उसे अधिक मात्रा में प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है। (फिल्म के माध्यम से किया जानेवाला इतिहास का अनादर रोकने हेतु सक्रिय प्रयास करनेवाली इतिहास प्रेमी श्रीमती श्रद्धा मेहता का अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
निर्माता दिग्दर्शक श्री. संजय लीला भंसाली के आगामी बाजीराव मस्तानी इस फिल्म का ट्रेलर हाल ही में प्रदर्शित हुआ।
उस समय यह बात स्पष्ट हुई कि, उसके ‘पिंगा’ गाने में प्रदर्शित किए गए प्रसंग से इतिहास का अनादर किया गया है !
यह फिल्म श्रीमंत बाजीराव पेशवा से संबंधित है। सत्य व्यक्तिरेखा पर आधारित इस फिल्म में तत्कालीन कुलीन मराठी स्त्री का अनादर किया गया है। यह बात पेशवा वंशज श्री. उदयसिंह पेशवा ने मुख्यमंत्री फडणवीस को पत्र भेजकर सूचित की है। साथ ही उन्होंने यह मांग भी की है कि यह गाना फिल्म से हटाएं।
पुणे की इतिहास प्रेमी श्रीमती श्रद्धा मेहता ने फेसबुक पर ‘बैन द मुव्ही बाजीराव मस्तानी’, इस नाम से एक पन्ना प्रकाशित किया है। उनका यह कहना है कि, उसे अल्पावधि में ही सैकडों लोगोंका सहयोग प्राप्त हुआ है। अनेक इतिहास प्रेमियोंने श्रीमती मेहता का समर्थन किया है। साथ ही वे इस फिल्म के विरोध में न्यायालय में जाने की सिद्धता में हैं !
इस फिल्म के संदर्भ में श्रीमती मेहता ने बताया कि ‘पिंगा’ गाने का दृश्य मैंने देखा है। उसमें काशीबाई तथा मस्तानी की वेशभूषा अनुचित है, साथ ही इस गाने का नृत्य बिलकुल ही ‘मंगलागौरी’ का प्रतीत नहीं होता। उसे तमाशा की जुगलबंदी का रूप दिया गया है। फिल्म के ट्रेलर से भंसालीद्वारा इतिहास का अनादर किए जाने की बात स्पष्ट हुई है। बाजीराव पेशवा का पराक्रम दिखाने की अपेक्षा उनकी केवल प्रेमकथा प्रकाशित करना, यह केवल मूरखता है !
इस फिल्म के माध्यम से बाजीराव के संदर्भ में विश्व में अनुचित संदेश पहुंचने की संभावना है; अतः इस फिल्म के विरोध में न्यायालय में जाने का विचार किया जा रहा है।
उसी दृष्टि से अधिवक्ताओंके साथ विचारविमर्श आरंभ है। शीघ्र ही उस संदर्भ में निर्णय लिया जाएगा।
फिल्म के विरोध में ऑनलाइन याचिका !
बाजीराव मस्तानी फिल्म की प्रदर्शनी पर पाबंदी डालने के संदर्भ में कुछ इतिहास प्रेमियोंने ‘Change.org‘ संकेतस्थल के माध्यम से ऑनलाइन याचिका प्रविष्ट की है। अभीतक २ सहस्र ४९० लोगोंद्वारा अनुमोदन प्राप्त हुआ है !
१. मनोरंजन हेतु इतिहास का अनादर करने का अधिकार भंसाली को किसने दिया ?
२. क्या फिल्म निर्मिति करते समय धर्म, देवता, राष्ट्रपुरुष इस संदर्भ में लोगोंकी भावना आहत नहीं होगी, इस बात पर फिल्म निर्माण करनेवालोंको ध्यान देना आवश्यक नहीं है ?
३. अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर इतिहास के साथ मनचाहा खिलवाड करना, वास्तविक व्यक्तिरेखाओंका अनादर करना, क्या यह स्वैराचार नहीं है ?
४. भंसालीजी, क्या आप इतिहास को सत्य रूप में प्रस्तुत कर, एक अच्छा फिल्म निर्माण नहीं कर सकते ?
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात