अहमदाबाद : गुजरात के बोटाड जिले की रहने वाली गैंगरेप पीड़िता अब एक और पीड़ा से गुजर रही है। गुजरात हाईकोर्ट की ओर से गर्भपात कराए जाने को मंजूरी न दिए जाने पर बच्चे को जन्म देने वाली पीड़िता अब दो समुदायों के रीति-रिवाजों को लेकर परेशान है। पीड़िता देवीपूजक समुदाय से ताल्लुक रखती है, उसके परिवार को गैंगरेप के बाद बहिष्कृत कर दिया गया है।
दूसरी तरफ अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रेपिस्ट का परिवार उस पर कथित तौर पर दवाब डाल रहा है कि उनकी रस्मों और रीति-रिवाजों का पालन करे। पीड़िता की मां ने बताया, ‘हमारे परिवार को देवीपूजक समुदाय ने बेटी के ‘शुद्धीकरण’ न होने तक बहिष्कृत कर दिया है। यह मामला अब सिर्फ रेप तक सीमित नहीं है। हमारे समाज के लोगों का कहना है कि बेटी को अछूत (दफर) समुदाय के लोगों ने छू लिया है। हमारे समुदाय के लोगों का कहना है कि देवी की मौजूदगी में पंडित द्वारा बेटी का शुद्धीकरण होना चाहिए।’
पीड़िता का परिवार अब ‘शुद्धीकरण’ यज्ञ में खर्च होने वाली ५० हजार रुपये की राशि के लिए संघर्ष कर रहा है। १५ और १७ साल की दो बेटियों की मां ने अपनी व्यथा जताते हुए कहा, ‘यदि हमने इस रस्म की अदायगी नहीं की तो हमारी बेटी से कौन शादी करेगा।’
मां ने बताया, ‘यही नहीं मेरी बेटी को लहंगा-चोली पहनने पर दो आरोपियों की पत्नियों ने पीटने की कोशिश की। उन लोगों ने मुस्लिम समुदाय के अनुसार कपड़े न पहनने को लेकर बेटी की पिटाई की। उनका कहना है कि उसे इस्लाम के मुताबिक व्यवहार करना चाहिए क्योंकि उसी समुदाय के एक व्यक्ति के एक बच्चे को उसने जन्म दिया है।’
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स