सर्वोच्च न्यायालयके अधिवक्ता विष्णु शंकर जैनने प्रतिपादित किया की, हिन्दू विधिज्ञ परिषदको ऐसी याचिकाएं प्रविष्ट करनी चाहिए, जिनका प्रभाव सम्पूर्ण देशपर होगा । आज हिन्दू राष्ट्र निर्माण करनेके लिए सर्व धर्माभिमानी अधिवक्ताओको एकत्रित होकर भगवा बार असोसिएनकी स्थापना करनेकी आवश्यकता है ।
अधिवक्ता जैनने उनके हिन्दू फ्रन्ट फॉर जस्टिस नामक संगठनद्वारा हिन्दू धर्मकी रक्षाके लिए किया कार्य उपस्थितोंके सामने रखकर धर्मरक्षाके कार्यमें अधिवक्ताओका सहयोग किस प्रकार हो सकता है इस विषयपर मार्गदर्शन किया ।
इस समय विष्णु शंकर जैनने कहा,
१. ६ दिसम्बरको अयोध्यामें बाबरीका ढांचा ध्वस्त हुआ, तब उत्तर प्रदेशमें परिस्थिति अत्यन्त तनावपूर्ण थी । सर्वत्र भययुक्त वातावरण था । ऐसे वातावरणमें रामजन्मभूमि दर्शनके लिए खुली की जाए, इस मांगके लिए मेरे पिताजी हरि चन्द्र जैनने न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट की । इसलिए आजतक अयोध्याका श्रीराम मन्दिर दर्शनके लिए खुला रखा गया है ।
२. अखिलेश यादव सरकारने उत्तरप्रदेशमें ५ सहस्र मुसलमान उर्दू भाषान्तरकारोंकी नियुक्ति करनेका निर्णय लिया था । इस निर्णयके विरोधमें मैंने याचिका प्रविष्ट की । तत्पश्चात ये नियुक्तियां करनेका निर्णय निरस्त किया गया ।
३. अखिलेश यादव सरकारने २२ कट्टर आतंकवादियोंको मुक्त करनेका निर्णय लिया । इसके विरोधमें याचिका प्रविष्ट की । इस प्रकरणमें उच्च न्यायालयने स्थगिति दी । इसपर सरकार सर्वोच्च न्यायालयमें गई, तब राम जेठमलानीके सहयोगसे हमें विजय प्राप्त हुई ।
४. हज यात्राके लिए अंशदान दिया जाता है । सरकारके इस निर्णयके विरुद्ध एक याचिका प्रविष्ट की है ।