विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी, फोण्डा (गोवा) – अयोध्याके राममन्दिरके लिए न्यायालयीन संघर्ष करनेवाले सर्वोच्च न्यायालयके अधिवक्ता श्री. हरिशंकर जैन ने प्रतिपादित किया कि हिन्दू राष्ट्रकी संकल्पना अतिप्राचीन है । महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, पृथ्वीराज चौहान आदिने भी इसके लिए प्रयत्न किए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति, देशका पहला संगठन है, जिसने हिन्दू राष्ट्र स्थापित करनेकी स्पष्टरूपसे घोषणा की है । हिन्दू राष्ट्रका निर्माण करते समय सबसे पहले हमें उसका एक संविधान सामने रखना होगा । इससे विश्वको कल्पना होगी कि हिन्दू राष्ट्र कैसा होगा और हिन्दू राष्ट्रकी इस प्रक्रियाका आरम्भ हो चुका है, इससे भी विश्व अवगत हो जाएगा । हिन्दू राष्ट्र – निर्मितिकी प्रक्रिया जारी है और पूर्णत्वतक पहुंचेगी । उसे कोई भी रोक नहीं पाएगा । २२ जूनको हिन्दू अधिवक्ताओंके सत्रमें रामजन्मभूमि आन्दोलनके अनुभव और आगामी दिशा, इस विषयपर वे बोल रहे थे ।
१ सहस्र वर्षोंसे मुसलमानोंद्वारा हिन्दुओंपर अत्याचार, अन्याय, बलात्कार और हिंसा की जा रही है । हिन्दुस्थानमें हिन्दू पशुसमान जीवन जी रहे हैं । आज देशमें केवल अयोध्या, काशी और मथुराके मन्दिरोंका ही नहीं, किन्तु ऐसे ३ सहस्र मन्दिरोंका प्रश्न है । जबतक ये भूमियां स्वतन्त्र नहीं होंगी, तबतक हिन्दू राष्ट्र अपूर्ण है । भारत विश्वगुरु था । सम्पूर्ण विश्वमें भगवान शिवजीका पूजन होता था । आज हम हमारे गौरव, वैभवशाली संस्कृतिको खो बैठे हैं । यह गौरव, संस्कृति पुनः प्राप्त करना,हमारा प्रथम कर्तव्य है । उन्होंने ऐसा भी कहा कि हिन्दू राष्ट्र निर्माण करनेसे पहले सभीको धर्मशिक्षा देना आवश्यक है ।