आषाढ कृष्ण पक्ष द्वादशी, कलियुग वर्ष ५११६
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स्टॉकहोम – स्वीडन में एक जांच में सामने आया है कि एक स्कूल की एक क्लास में सभी लड़कियों की योनि को काटा गया है, जिसे फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन या एफजीएम कहा जाता है। पूर्वी स्वीडन के नॉर्कोपिंग में स्कूल हेल्थ सर्विस को जांच में पता चला है कि मार्च से अब तक योनि काटे जाने के ६० मामले हो चुके हैं।
इनमें से २८ लड़कियों के साथ तो सबसे कठोर प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें क्लिटॉरिस को पूरी तरह काटकर वजाइना के छेद को सी दिया जाता है और बहुत थोड़ी सी जगह छोड़ी जाती है।
यह कुछ समुदायों की धार्मिक और सामाजिक परंपराओं का हिस्सा है। ऐसा लड़कियों को शादी के लिए तैयार करने जैसी मान्यताओं के कारण किया जाता है। एफजीएम के कई मानसिक और शारीरिक दुष्प्रभाव होते हैं। इनसे कई तरह का इन्फेक्शन भी हो सकता है।
स्वीडन में १९८२ से ही एफजीएम पूरी तरह से प्रतिबंधित है। १९९९ में इस में कई तरह की प्रक्रियाएं शामिल की गईं और विदेश में खतना करवाने पर भी सजा का प्रावधान किया गया।
नॉर्कोपिंग की स्टूडेंट हेल्थ कोऑर्डिनेटर पेट्रा ब्लॉम ऐंडरसन ने बताया, 'हम लड़कियों के पैरंट्स को सूचित कर रहे हैं कि अगर वे विदेश में अपनी बच्चियों का खतना करवा कर लौटे तो उन्हें सजा हो सकती है।'
एफजीएम ब्रिटेन में भी एक बड़ी समस्या है। एक अनुमान के मुताबिक १५ वर्ष से कम आयु की २० हजार से ज्यादा लड़कियां खतने के खतरे में हैं। ६० हजार महिलाओं के साथ एफजीएम हो चुका है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक अफ्रीका और मध्य पूर्व के २९ देशों की १२.५ करोड़ महिलाएं एफजीएम से गुजर चुकी हैं।
स्त्रोत : नव भारत टाइम्स