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‘बाजीराव-मस्तानी’ चलचित्र के अश्लाघ्य गीत रद्द करें एवं चलचित्र हमें दिखा कर ही प्रदर्शित करें ! – बाजीराव एवं मस्तानी के वंशजोंद्वारा मांग

विवादजनक ‘बाजीराव-मस्तानी’ चलचित्र का प्रकरण

पत्रकार परिषद में बाजीराव पेशवा एवं मस्तानी के वंशजोंद्वारा मांग

डॉ. अनुराधा सहस्रबुद्धे, सामाजिक कार्यकर्ती, श्रीमती शाहीन बहादुर (मस्तानी के वंशज), जुल्फिकार बहादुर नवाब साहेब (मस्तानी के वंशज), अवैस बहादुर नवाब साहेब, उदयसिंह पेशवा (बाजीराव के वंशज), श्रीमंत सरदार सत्यशीलराजे दाभाडे (उमाबाईसाहेब दाभाडे के वंशज)

मुंबई : बाजीराव पेशवा एवं मस्तानी के वंशजोंने ४ दिसंबर को मुंबई प्रेस क्लब में पत्रकार परिषद आयोजित कर उस में ऐसी मांग की कि, बाजीराव-मस्तानी चलचित्र के प्रदर्शन से पूर्व हमारे लिए एक विशेष खेल का आयोजन करें, जिससे लोगोंके अंतःकरण में प्रतिबिंबित बाजीराव पेशवा, मस्तानी बाईसाहेब एवं काशीबाई की प्रतिमा एवं इतिहास का इस चलचित्र में विपर्यास नहीं हुआ है, इसकी हमें निश्चिति होगी।

उसीप्रकार इस पत्रकार परिषद में उपस्थित अवैस बहादुर नवाब साहेब, उदयसिंह पेशवा (बाजीराव के वंशज), श्रीमंत सरदार सत्यशीलराजे दाभाडे (उमाबाईसाहेब दाभाडे के वंशज), तथा श्रीमती शाहीन बहादुर (मस्तानी के वंशज) एवं जुल्फिकार बहादुर नवाब साहेब (मस्तानी के वंशज) द्वारा इस चलचित्र से ‘पिंगा’ एवं बाजीराव के अश्लाघ्य गीत हटाए जाने की मांग की गई।

पेशवाकालीन स्त्रियां ऐसे वस्त्र नहीं धारण करती थीं। बाजीराव ५वें पेशवा हैं, ऐसा दर्शाया गया है, जो त्रुटिपूर्ण है। साथ ही काशीबाई एवं मस्तानी की भेंट को भी अनुचित तरीके से दर्शाया गया है !

इन सभी वंशजोंद्वारा प्रसिद्ध पत्रक में कहा गया है कि, इस चलचित्र में स्वतंत्रता के नाम पर (सिनेमैटिक लिबर्टी) सत्य घटनाओंपर चलचित्र निर्मिति करते समय सत्य का विपर्यास किया जाता है। जब यह विपर्यास तर्क से परे होता है, तब ऐतिहासिक दृष्टि से वह त्रुटिपूर्ण सिद्ध होता है !

संजय लीला भंसाळी दिग्दर्शित इस ‘बाजीराव-मस्तानी’ चलचित्र में ऐसा ही हुआ है !

इस चलचित्र के विज्ञापन से इतिहास के महान व्यक्त्तित्ववाले एवं एक भी युद्ध में पराजित न होनेवाले बाजीराव पेशवा का जो चित्र सामने आ रहा है, उसमें उन्होंने केवल बाजीराव एवं मस्तानी बाईसाहेब के सिर्फ रिश्तोंके संबंधोंपर ही ध्यान आकर्षित किया, ऐसा दिखाई देता है। यह उनके जीवन का एक छोटा सा भाग है। कोई भी निश्चित संशोधन किए बिना यह चित्रित किया गया है।

‘पिंगा’ इस गीत में ‘काशीबाई एवं मस्तानी’ इन व्यक्तिरेखाओंको ‘नर्तन’ करते हुए दर्शाया गया है !

ऐतिहासिक दृष्टि से यह पूर्णत: गलत है एवं सत्य घटना दर्शाने हेतु दिग्दर्शक ने कोई प्रयास किए हों, ऐसा दिखाई नहीं देता। मस्तानी बाईसाहेब के वंशज अवैस बहादुर नवाब भी एक तीव्र संवेदनशील विषय को गैर तरीके का अवलंब करने के कारण अत्यंत दुखी हैं।

ये ‘चलचित्र’ ऐतिहासिक दृष्टि से ‘वास्तव’ हों, ऐसे हमारे प्रयास रहेंगे !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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