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उडुपी (कर्नाटक)में प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन को उत्स्फूर्त प्रतिसाद !

‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग तीव्रतापूर्वक करने हेतु हिन्दुओंको संगठित होना आवश्यक ! – पू. सत्यवान कदम

व्यासपीठ पर अधिवेशन के तृतीय सत्र के मान्यवर, बायीं ओर से अधिवक्ता श्री. अशोक, श्री. प्रसन्न कामत, अधिवक्ता श्री. राजेश ए. आर. तथा श्री. प्रभाकर पडियार

उडुपी (कर्नाटक) : सनातन के पू. सत्यवान कदम ने यह प्रतिपादित किया कि, ‘भारत का विभाजन होने के पश्चात अस्तित्व में ही न रहनेवाला इस्लामी राष्ट्र अर्थात पाकिस्तान की निर्मिति हुई तथा अस्तित्व में रहनेवाले हिन्दू देश भारत का उदय निधर्मी देश के नाम से हुआ।

उस समय से यहां के हिन्दू द्वितीय श्रेणी के माने जाते हैं तथा कनिष्ट स्तर का जीवन व्यतीत कर रहे हैं !

हमें धर्म की शिक्षा किधर मिलती नहीं, तो देश के बहुसंख्यक युवकोंको निधर्मीपन की शिक्षा दी जा रही है। अतः सभी को धर्मशिक्षा प्राप्त हो, इस बात की ओर हमें स्वयं ध्यान देने की आवश्यकता है ! उसके लिए ‘हिन्दू राष्ट्र’ हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, यह केवल वक्तव्य के लिए नहीं, अपितु इस मांग का प्रयास करने हेतु हमें संगठित होना चाहिए !’

यहां के श्री शारदांबा देवस्थान, चिट्टाडी में २९ नवम्बर को हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन संपन्न हुआ।

इस अधिवेशन में हिन्दू महासभा के श्री. धर्मेंद्र, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता श्री. दिनेश नायक, सनातन संस्था की श्रीमती लक्ष्मी पै तथा हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य समन्वयक श्री. गुरुप्रसाद आदि मान्यवरोंद्वारा संबोधित किया गया।

इस अधिवेशन के लिए भारत स्वाभिमान, श्रीरामकृष्ण मिशन, युवा भारत, श्रीराम सेना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हिन्दू महासभा, विश्वकर्मा ओक्कुट, बंटर संघ, सत्यानंद भजन मंदिर आदि संगठनोंके प्रतिनिधि, साथ ही अधिवक्ताएं सम्मिलित हुए थे।

हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु हिन्दू अधिवेशन का आयोजन ! – श्री. गुरुप्रसाद

पुरे विश्व में १५२ ईसाई राष्ट्र, ५२ मुसलमान राष्ट्र, १२ बौद्ध राष्ट्र तथा ज्यू लोगोंका भी एक राष्ट्र है; किंतु हिन्दुओंका एक भी राष्ट्र नहीं है ! अतः ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापना का ध्येय साध्य करने हेतु हिन्दू अधिवेशन का आयोजन किया गया है।

‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु सभी हिन्दू संगठनोंको संगठित होना चाहिए ! – श्री. धर्मेंद्र

महाराणा प्रताप तथा मुगलों में हुए हलदीघाटी के युद्ध से यह स्पष्ट है कि, धर्मयुद्ध कभी भी संख्या के बल पर नहीं जीता जा सकता, अपितु केवल ‘देशभक्ति’ की पार्श्वभूमि पर एकाग्रता एवं आत्मस्थैर्य से ही जीता सकता है !

राजनीतिक बल पर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना असंभव ! – अधिवक्ता श्री. दिनेश नायक

सत्ताधारी दल ने ‘राममंदिर’ विषय पर करोडों भारतीयोंके सहयोग के कारण सत्ता प्राप्त की; किंतु अभी तक उन्होंने राममंदिर निर्माण करने का कार्य नहीं किया। इससे यह ध्यान में आता है कि, राजनैतिक बल पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना असभंव है !

विरोधियोंको ऐसा प्रतीत होता है कि, मंदिरें नष्ट कर हिन्दुओंका नाश करना सभंव है ! अतः कर्नाटक शासनद्वारा धर्मदाय क्षेत्र में अहिन्दुओंको समाविष्ट कर हिन्दुओंके श्रद्धास्थानोंपर बार बार आघात किये जा रहें हैं !

‘साधना’ के कारण प्रतिकूल परिस्थिति में भी हम स्थिर रह सकते हैं ! – श्रीमती लक्ष्मी पै

यदि आज हम मानसिक स्तर पर धर्माभिमानी हैं, तो तात्कालिक परिस्थिति के कारण हमारा धर्माभिमान जागृत होता है; किंतु यदि यही धर्माभिमान आध्यात्मिक स्तर पर होगा, तो वह निरंतर जागृत रहेगा और वह केवल ‘साधना’ करने से साध्य होता है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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