आषाढ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्, संस्थापक, हिन्दू मक्कल मुन्नानी, तमिलनाडु |
विद्याधिराज सभागृह, रामनाथी – तमिलनाडुके हिन्दू मक्कल मुन्नानीके (हिन्दू जनताका गठबन्धन इस संगठनके) संस्थापक श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करनेकी आनंददायी घोषणा हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीने की । पू. पिंगळेजीने उनके संदर्भमें कहा, श्री. राधाकृष्णन्में ईश्वरके प्रति विद्यमान भाव और लगन, ये गुण उनके सान्निध्यमें आए सभीको अनुभव करनेको मिलते हैं । हमें विश्वास है कि जैसे – जैसे इस प्रकार साधना करनेवाले धीर-धीरे इस कार्यसे जुड जाएंगे, वैसे ही हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो जाएगा । पू. पिंगळेजीके शुभहस्तों उनका सत्कार किया गया ।
श्री. राधाकृष्णन्, प.पू. डॉक्टरजीसे प्राप्त अमूल्य भेंट ! – श्रीमती उमा रविचंद्रन
श्री. राधाकृष्णन्, प.पू. डॉक्टरजीसे प्राप्त अमूल्य भेंट है । उनसे अनेक बातें सीखनेको मिली । वे गत २५ वर्षोंसे हिन्दू धर्मके लिए कार्यरत हैं । नम्रता, मनःपूर्वक स्वीकारनेकी वृत्ति, हिन्दू राष्ट्र स्थापनाकी तीव्र लगन, ईश्वरके प्रति भाव, समर्पण, प.पू. डॉक्टरजीपर श्रद्धा आदि गुण उनमें हैं । तमिलनाडुके हम सभी साधकोंके लिए वे पितृवत हैं ।
श्री. राधाकृष्णन्के कारण ही तमिलनाडुमें प्रसार करना सम्भव हुआ ! – श्री. विनायक शानभाग, तमिलनाडु राज्य समन्वयक
प.पू. डॉक्टरजीका नाम लेते ही श्री. राधाकृष्णन्की आंखें भावसे भर आती हैं । उनके प्रत्येक व्याख्यानका प्रारम्भ वे भगवान श्रीकृष्ण और प.पू. डॉक्टरजीका नाम लेकर करते हैं । तमिलनाडुमें साधकसंख्या अत्यल्प है । श्री. राधाकृष्णन्के कारण ही हम तमिलनाडुके विविध जनपदोंमें जा सकते हैं । क्षात्रभाव और लगन जैसे गुणोंका उनमें संगम है । तमिलनाडुके प्रान्तीय अधिवेशनके समय १०० धर्माभिमानियोंके लिए निवास, भोजन, यात्रादि सभीका व्यय उन्होंने अकेले ही किया । त्याग, निरपेक्षता जैसे गुण उनसे सीखनेका अवसर मुझे मिला ।
मैं प.पू. डॉक्टरजीके चरणोंमें शरण आया हूं ! – श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्
मुझे हिन्दी नहीं आती, तब भी श्री. रमेश शिंदेजीका मार्गदर्शन मैं पूर्णतः समझ सका । मुझे आश्चर्य हुआ कि यह कैसे सम्भव है ? मैं प.पू. डॉक्टरजीके चरणोंमें शरण आया हूं । ऐसा लगा कि, इस अधिवेशनमें सहभागी होना चाहिए; इसलिए मैं आया हूं । प.पू. डॉक्टरजीके आशीर्वाद लेनेके लिए आया । मेरा यहां पहुंचना, प.पू. डॉक्टरजीके कृपाशीर्वादका वर्षाव है । उन्हींके कारण मैं अच्छे मार्गपर हूं । ऐसा लगा कि, सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समितिके सम्पर्कमें आनेपर मैं उचित स्थानपर आया हूं । प.पू. डॉक्टरजीसे मैं सदैव प्रार्थना करता हूं कि, मुझपर कृपा करें । प.पू. डॉक्टरजीने मुझपर कृपा की और मुझे सेवा दी । मैं काया-वाचा-मन-बुद्धिके साथ प.पू. डॉक्टरजीके चरणोंमें शरण आया हूं । एक राजनीतिक दलने मुझे तमिलनाडु राज्यप्रमुख होनेसम्बन्धी पूछा था । डेढ वर्ष पहले मुझे भान हुआ कि, राजनीति मेरा क्षेत्र नहीं है । मैं हिन्दुत्वके लिए कुछ करना चाहता हूं । इसलिए मैं प.पू. डॉक्टरजीके आशीर्वाद मांगता हूं ।