आषाढ अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६
श्री. प्रमोद मुतालिक, संस्थापक, श्रीराम सेना |
मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है । तत्पश्चात भी सनातन संस्थाके संस्थापक प.पू. डॉ. आठवलेजीके आशीर्वाद लेनेके लिए, पूरे देशसे आए धर्मबन्धुआेंको मिलनेके लिए मैं यहां आया हूं । हिन्दू समाजको प्रेरणा देनेवाला तृतीय अधिवेशन अत्यन्त सफल हो रहा है ! – श्री. प्रमोद मुतालिक, संस्थापक, श्रीराम सेना.
श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्, संस्थापक, हिन्दू मक्कल मुन्नानी (हिन्दू जनताका नेतृत्व) |
जहां हिन्दू संगठन हैं, वहां हमें आशीर्वाद और समर्थन देना चाहिए । हम भगवान श्रीकृष्णकी सेवा कर रहे हैं । प.पू. डॉक्टरजीने उनके लेखनद्वारा मार्गदर्शन किया ही है । उससे प्रेरणा लेकर कार्य करेंगे, तो ही हिन्दू राष्ट्र स्थापन होगा ! – श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्, संस्थापक, हिन्दू मक्कल कच्ची (हिन्दू जनताका गठबंन्धन)
जिस संगठनके साधक इतने अच्छे हैं, उनके गुरु कितने महान होंगे ! – श्री. आतिश रविकान्त, कार्यकर्ता, युवा सेवा संघ, बंगलुरू, कर्नाटक
श्री. आतिश रविकान्त, कार्यकर्ता, युवा सेवा संघ, बंगलुरू, कर्नाटक |
सनातनके साधकोंसे मेरा अनेक वर्षोंसे सम्पर्क है । मैं उनके साथ सेवा करता हूं । उनकी योजनाबद्ध सेवा देखकर मैं सेवा करता हूं । ऐसा मुझे सदैव लगता था कि ये साधक ही इतने अच्छे हैं, तो उनके गुरुजी (प.पू. डाॅ. आठवले) कितने महान होंगे । २४ जूनको मुझे उनका सत्संग मिला । आशीर्वचन मिला । बहुत अच्छा लगा । यह बताते समय श्री. आतिशका भाव जागृत हुआ ।
भगवान नारायणस्वरूप नेता होनेसे हिन्दू जनजागृति समितिको अन्य नेताकी आवश्यकता नहीं है ! – मुरली मनोहर शर्मा, महासचिव, भारत रक्षा मंच, ओडिशा
श्री. मुरली मनोहर शर्मा, महासचिव, भारत रक्षा मंच, ओडिशा |
प.पू. डॉक्टर आठवलेजीके चरणोंमें मैं श्रद्धापुष्प अर्पित करता हूं । मैं केवल आशीर्वाद लेनेके लिए यहां आया हूं । यहां आनेपर मैं प्रतिदिन ढूंढनेका प्रयास करता हूं कि, हिन्दू जनजागृति समितिके नेता कौन हैं ? मुझे लगता था कि, कहीं तो एक चांदीकी कुरसी होगी, उसपर बैठकर ये नेता मार्गदर्शन करेंगे । यहां आनेपर मेरे ध्यानमें आया कि हिन्दू जनजागृति समितिको नेताकी आवश्यक नहीं है । नारायणस्वरूप नेता यहां हैं । यहांपर जब मैं नया-नया था, तो अन्य कोई मुझे बताता था कि भोजन, विश्राम आदिकी व्यवस्था कहां है ? अब मैं दूसरोंको बताता हूं कि भोजनके लिए यहां जाए, आप यहां बैठे ।
मुझे ऐसा लगने लगा है कि मैं ही यहांका नेता हूं । हिन्दू जनजागृति समिति जैसा विशाल संगठन कहीं भी नहीं देखा है । वह विश्वके हिन्दुआेंको मोतियोंकी भांति पिरो रहा है । इतने महान कार्यका उन्हें कणमात्र भी अहं नहीं है । आश्रममें आनेपर वहां आत्यन्तिक सेवाभावनासे कार्य किया जाता है । ऐसा आश्रम अन्य कोई नहीं बना सकता । आश्रम कैसा है, इसका वर्णन करना केवल कठिन ही नहीं, किन्तु असंम्भव है । यहांपर साधु-सन्त सामान्योंकी पंक्तिमें सहजभावमें बैठे हैं । यह ऐसा स्थान है कि यहां मात्र आनेसे ही मेरे कुछ जन्मोंके पाप धुल गए ।
हिन्दुत्वनिष्ठोंका मनोगत
हिन्दू राष्ट्र हेतु तन-मन-धन देना चाहिए ! – श्री. कैलाश गिरवलकर, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय अन्धत्व कल्याण संघ, लातूर, महाराष्ट्र
अब तक मैं युवकोंको सेनामें सहभागी होने हेतु प्रेरित करता था; परन्तु इस अधिवेशनमें आनेके उपरान्तसे मैंने निश्चय किया है कि मैं प्रत्येक माहमें न्यूनतम पांच परिवारोंतक हिन्दू राष्ट्रका विषय पहुंचाऊंगा । मुझसे जुडे अन्य युवक भी अन्योंको प्ररित करेंगे । हिन्दू राष्ट्रके लिए तन-मन-धन देना चाहिए । हम सभीको यह कार्य करना चाहिए ।
श्री. अनंतम् नरेशकुमार |
अधिवेशनमें उपस्थित रहनेपर गोवाके समुद्रतटपर समय व्यर्थ न करते हुए धर्मकार्य करनेकी प्रेरणा मिली ! – श्री. अनंतम् नरेशकुमार, भाग्यनगर (हैदराबाद)
हमने गोरक्षा दलद्वारा आन्ध्रप्रदेशमें ८ सहस्र गायोंको बचाया है । हिन्दूबहुल भागोंमें २ मस्जिदें बननेसे रोकीं । हिन्दुआेंका हो रहा धर्मपरिवर्तन रोका । यहां पहुंचनेसे पूर्व लग रहा था कि गोवा जाएंगे, तो वहांके समुद्रतट भी देख आएंगे; परन्तु यहां आनेके उपरान्त समुद्रतटपर जानेकी इच्छा ही नहीं हुई । ऐसा निश्चय कर लिया कि भले ही कोई भी कारण हो, समय व्यर्थ नहीं करेंगे । अधिवेशन समाप्त होनेपर तत्काल गांव जाकर गोरक्षा दलके माध्यमसे पशुवधगृह पूर्णरूपसे बन्द करवाएंगे ।