आषाढ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६
प्रा. नीरज अत्री, विवेकानन्द कार्य समिति, चण्डीगढ |
एन्सीईआर्टीके (राष्ट्रीय शिक्षा और अनुसन्धान केन्द्र) इतिहासके पाठ्यपुस्तकोंमें हमारे देश, सन्त, संस्कृति और धर्मको लक्ष्य बनाया गया है । इन पुस्तकोंके माध्यमसे पूर्ण असत्य, तो कहींपर अर्धसत्य जानकारी छापकर एन्सीईआर्टी गत ९ वर्षोंसे हमारे बच्चोंमें बचपनसे ही हिन्दू धर्मके विरोधमें विष उगलनेका काम कर रहा है ।
जितने भी तथाकथित समाजसुधारक हैं, उनके मुखौटेके पीछे ईसाई संस्थाएं हैं । इसलिए इन पाठ्यपुस्तकोंमें पंडिता रमाबाई, जिन्होंने स्वामी विवेकानन्दके धर्मप्रसारमें बाधा लाई, उस केशवचंद्र सेन आदिकी प्रशंसा की गई है । इन पाठ्यपुस्तकोंमें उत्तर आणि दक्षिण भारतमें भेद कर विभाजनका बीज बोया गया है । ब्राह्मणोंको लक्ष्य कर उनके सम्बन्धमें नकारात्मक दृष्टिकोण रखकर जानकारी दी गई है । इसके परिणामस्वरूप जब बच्चे दसवींकी परीक्षामें उत्तीर्ण होंगे; तब वे ब्राह्मण, हिन्दू संस्कृति, संस्कृत और हिन्दू धर्म आदिका तीव्र द्वेष करेंगे ।
हम गोहत्या, लव जिहाद, आतंकवाद, धर्मपरिवर्तन आदि समस्याआेंके विरोधमें लड रहे हैं; परन्तु शत्रु बहुत आगे निकल गया है । अब लडाई बौद्धिक स्तरपर आ पहुंची है । इस लडाईमें जबतक हम नहीं जीतेंगे, तबतक हम धर्मसम्बन्धी अन्य समस्याआेंपर विजय प्राप्त नहीं कर सकेंगे ।