आषाढ अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६
सम्पूर्ण गोहत्याबन्दी,बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने तथा पूरे विश्वके हिन्दुओंकी सुरक्षाके साथ ही भारत एवं नेपालमें हिन्दू राष्ट्रकी पुनर्स्थापना हेतु प्रस्ताव पारित !
पत्रकार परिषदमे बायी और श्री. अनिल धीर, श्री. रमेश शिंदे, संबोधित करते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, श्री. माधव भट्टाराय और अधिवक्ता श्री. वीरेंद्र इचलकरंजीकर |
पणजी – भारत एवं नेपाल स्वयंभू हिन्दू राष्ट्र हैं । प्रत्येक पन्थीयका अपना राष्ट्र है । केवल हिन्दुओंका अपना एक भी सम्मानजनक राष्ट्र नहीं है । इसीलिए भारत और नेपाल इन हिन्दूबहुल राष्ट्रोंको हिन्दू राष्ट्र घोषित करनेके साथ ही सम्पूर्ण गोहत्याबन्दी, बांग्लादेशी घुसपैठ रोकना तथा विश्वभरके हिन्दुओंकी सुरक्षा करनेकी नीति निर्धारित करना,ऐसा प्रस्ताव तृतीय अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनमें पारित किया गया । यह जानकारी हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेने यहां आयोजित पत्रकार परिषदमें दी । इस समय नेपालके राजगुरु और राष्ट्रीय धर्मसभाके अध्यक्ष प्रा.माधव भट्टराय उपस्थित थे । तृतीय अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनमें भारतके २० राज्योंके,तथा बांग्लादेश और नेपालके १२५ से भी अधिक हिन्दू संगठनोंके ४०० से भी अधिक प्रतिनिधि सहभागी हुए ।
इस अधिवेशनमें निर्धारित समान कार्य-योजनाके अन्तर्गत हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना हेतु २० राज्योंमें ८० स्थानोंपर प्रान्तीय हिन्दू अधिवेशन तथा १०० स्थानोंपर सार्वजनिक हिन्दू धर्मजागृति सभा आयोजित करनेका निश्चय किया गया । प्राकृतिक एवं मानव-जनित आपदाओंके समय सर्व संगठनोंको एकत्ररूपसे आपातकालीन सहायताकार्य करनेका तथा स्वरक्षा हेतु भारतभरमें स्वसंरक्षण प्रशिक्षणवर्ग उपक्रम चलानेका निर्णय भी इस अधिवेशनमें लिया गया, ऐसी जानकारी पू. डॉ. पिंगळेजीने दी ।
केन्द्रमें नई सत्तारूढ भाजपा शासन सम्पूर्ण देशमें लागू होनेवाला गोहत्या प्रतिबन्धक कानून बनाएं, सर्वोच्च न्यायालयद्वारा दिए आदेशके अनुसार इस देशके सर्व नागरिकोंको समान अधिकार देनेवाला समान नागरिक कानून और धर्मपरिवर्तन प्रतिबन्धक कानून बनाकर हिन्दू वंशकी रक्षा की जाए, ऐसा प्रस्ताव भी पारिकित या गया, यह जानकारी इस अवसरपर हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदेने दी ।
५ करोड बांग्लादेशी घुसपैठियोंको वापस भेजने हेतु बांग्लादेशी तथा पाकिस्तानी शरणार्थी हिन्दुओंको भारतकी नागरिकता देनेवाला कानून बनाया जाए, साथ ही बांग्लादेशी घुसपैठियोंको आश्रय देनेवाले तथा सहायता करनेवालोंको दोषी सिद्ध कर कठोर दंड दिया जाए, ऐसी मांग इस अधिवेशनमें की गई । प्रचलित कानूनोंके अनुसार बांग्लादेशी घुसपैठियोंको वापस उनके देशमें भेजनेका साहसी अभियान चलानेका कार्यक्रम हिन्दू संगठनोंने अपनाया है ऐसी जानकारी इस अवसरपर भारत रक्षा मंचके राष्ट्रीय महासचिव श्री. अनिल धीरने दी । ९ राज्योंके हिन्दुत्ववादी संगठनोंकी कानूनी सहायता कर, राष्ट्र एवं धर्म हितके उपक्रमोंका कानूनी मार्गदर्शन करनेकी जानकारी हिन्दू विधिज्ञ परिषदके अध्यक्ष अधिवक्ता श्री. वीरेन्द्र इचलकरंजीकरने दी ।
प्रस्ताव १
अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनमें नेपालको हिन्दू राष्ट्र घोषित करनेका प्रस्ताव !
नेपाल परापूर्वकालसे ही श्री पशुपतिनाथके आधिपत्यमें देवभूमि, शिवभूमि, तपोभूमि,ज्ञानभूमि और गौरक्षाभूमिके रूपमें सारे विश्वमें चिरपरिचित वैदिक सनातनवादी हिन्दूराष्ट्र रहा है; परन्तु हिन्दूविरोधी वामपन्थी विचारधाराकी आतंकवादी भूमिकाके कारण नेपालकी हिन्दू राष्ट्रकी पहचानको नष्ट कर उसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया । वर्तमानमें नेपालमें आंतरिम (कामचलाऊ) संविधान २०६३ लागू है;जिसमें धर्मनिरपेक्षता संघीयता और गणतंत्रको अपरिवर्तनीय बनाया गया है । नेपालमें धर्मपरिवर्तन,गौहत्या आदि धर्मसंकट बढ रहे हैं । इतना ही नहीं नेपालमें धर्मयुद्धकी स्थिति भी है । आज भी नेपालमें ८२ प्रतिशत सनातनी हिन्दू निवास करते हैं । उनमेंसे अधिकांश हिन्दुओंको लगता है कि नेपाल हिन्दू राष्ट्र बने । नेपाल हिन्दू राष्ट्र बने, इसलिए यह अधिवेशन ऐसा प्रस्ताव पारित करता है कि,
१. नेपाल हिन्दू राष्ट्र घोषित हो, इसलिए प्रयास करनेवाले वहांके हिन्दुओंका यह अधिवेशन नैतिक,राजनीतिक एवं सर्वप्रकारसे समर्थन करता है ।
२. नेपालकी संसद नेपालको पुनः हिन्दू राष्ट्र घोषित करे ।
३. नेपालको पुनः हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए,इसलिए आगामी कालमें जब नेपालमें आन्दोलन चलाया जाएगा, उस समय भारतका धर्मनिरपेक्ष शासन उस आन्दोलनको कुचलनेके लिए किसी प्रकारसे आंतरिक अथवा बाह्य माध्यमसे हस्तक्षेप न करें ।
प्रस्ताव २
देशमें समान नागरी कानून बनाया जाए ।
१. यह अधिवेशन ऐसी मांग करता है कि मा.सर्वोच्च न्यायालयके निर्देशानुसार देशमें शीघ्रातिशीघ्र समान नागरी कानून बनाया जाए ।
देशमें गोहत्या प्रतिबन्ध कानून बनाया जाए ।
तृतीय अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन मांग करता है कि,
१. संपूर्ण देशमें गोहत्या प्रतिबन्ध कानून तुरन्त बनाया जाकर, उसे कठोरतासे क्रियान्वित किया जाए ।
२. विदेशी गायोंकी उत्पत्ति,आयात एवं प्रतिपालन आदिपर कठोर प्रतिबन्ध लगाया जाए ।
३. गोवंशको राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए ।
देशमें धर्मान्तरण प्रतिबन्धक कानून लागू हो जाए ।
यह अधिवेशन ऐसा प्रस्ताव रखता है कि,
१. हिन्दुस्थानमें सर्वत्र हिन्दुओंके धर्मान्तरणकी बढती गतिको देखते हुए केन्द्रशासन तत्काल अपने स्तरपर धर्मान्तरण प्रतिबन्धक सक्षम कानून लागू करें ।
२. कपटद्वारा, बलपूर्वक अथवा प्रलोभन दिखाकर किसीका धर्मान्तरण किया गया, तो धर्मान्तरण करवानेवाले व्यक्तिको आजीवन कारावास और इस प्रकारसे धर्मान्तरित व्यक्ति यदि अज्ञानी होगा,तो अपराधीको (धर्मान्तरण करवानेवाले व्यक्तिको)मृत्युदंड दिया जाए ।
३. ऐसा कोई भी सेवाकार्य पाद्रियोंको न दिया जाए, जो धर्मान्तरण हेतु पूरक हो ।
४. ईसाइयोंको वनवासी क्षेत्रमें अनाथालय चलाने अथवा कोई भी सेवाकार्य करनेके प्रतिबन्धित किया जाए ।
५. अन्य धर्मीय अपने धर्मप्रसारकी सामग्री शासकीय अनुमतिके बिना वितरित न करें । उपर्युक्त मांगोंको शासन तत्काल क्रियान्वित करें ।
प्रस्ताव ३
भारतको हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए !
ब्रह्मांडके आरंभसे प्रत्येक प्राणिमात्रके कल्याणके लिए हिंदू धर्म प्रस्थापित है । भारतमें हिंदू धर्मकी विचारधारा, हिंदू तत्त्वज्ञान, हिंदू धर्मशास्त्र, हिंदू संस्कृती, हिंदू वंश एवं हिंदू राष्ट्र बचाने हेतु विश्वभरके हिंदूओंको जागृत करना चाहिए । विश्वभरके हिंदूओंके लिए भारत मातृभूमि बननी चाहिए, जहां संपूर्ण विश्वके हिंदू पूर्ण आत्मविश्वासके साथ आ सकें तथा कोई भी अधिकार उनको पवित्रतम भारतभूमिसे निकाल ना सकें । इसीलिए इस अधिवेशनमें हम प्रस्ताव पारित करते हैं कि,
१. भारतको हिंदू राष्ट्र बनानेके लिए वैध मार्गसे जो संभव प्रयत्न करना आवश्यक होगा,वह सब यह अधिवेशन करेगा ।
२. हिंदू राष्ट्र बनानेके लिए जो लोग वैध मार्गसे प्रयत्न करेंगे, उन्हें आवश्यक सब प्रकारकी सहायता देनेके लिए यह अधिवेशन वचनबद्ध रहेगा ।