तेलंगाना शासनद्वारा ‘नाताल त्यौहार’ शासकीय स्तर पर मनाने के निर्णय का प्रकरण
शासकीय तिजोरीसे नाताल मनानेवाला ‘धर्मनिरपेक्ष’ तेलंगाना शासन हिन्दुओंकी यात्राओंके लिए जानेवाली बस की टिकट में मूल्यवृद्धि करता है, यह ध्यान में लें !
भाग्यनगर (तेलंगाना) : हिन्दू जनजागृति समिति के तेलंगाना राज्य के समन्वयक श्री. चंद्रु मोगेरद्वारा तेलंगाना राज्यपाल को अल्पसंख्यकोंकी चापलूसी के लिए राष्ट्रीय संपत्ति का अपव्यय न करने की विनती करनेवाला निवेदन दिया गया।
यह निवेदन उपजिलाधिकारी निर्मला कुमारी के माध्यम से राज्यपाल को दिया गया।
इस निवेदन में कहा गया है, कि …..
१. तेलंगाना शासनद्वारा ईसाई धर्मियोंका नाताल त्यौहार शासकीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया गया है !
२. इस निर्णय के अंतर्गत, ‘१९५ चर्च में शासकीय स्तर पर ‘ख्रिसमस’ का कार्यक्रम मनाना’, ‘२ लाख गरीब ईसाईयोंको वस्त्रवितरण करना’ एवं ‘राज्य के सभी चर्च में शासनद्वारा भोजन’ आदि उपक्रम चलाए जानेवाले हैं !
३. एक ओर शासन ‘धर्मनिरपेक्ष’ है, ऐसा कहना तो दूसरी ओर ‘ईसाई’ धर्मियोंका त्यौहार शासकीय स्तर पर मनाना ! ये बात, भारतीय संविधान के कौन से तत्त्व में बैठती है ?
४. इसके साथ ही शासन एक ओर हिन्दुओंकी गोदावरी पुष्कर यात्रा की टिकट में मूल्यवृद्धि करता है, टिकटोंपर राजस्व लगाता है एवं दूसरी ओर ईसाईयों के त्यौहार शासकीय अनुदान से मनाए जाते हैं। क्या यह दोमुंही नीति नहीं है ?
५. इससे पूर्व शासनद्वारा मुसलमानोंको शासकीय व्यय से २६ करोड रुपयोंकी भेंट देने की घोषणा की गई थी। एक ही देश में रहनेवाले परंतु अलग अलग धर्मोंके लोगोंके लिए अलग अलग न्याय किस लिए ?
६. अतः इस निवेदन में तेलंगाना शासन के इस निर्णय को रद्द करने तथा धर्मनिरपेक्ष शासनद्वारा अल्पसंख्यकोंके तुष्टिकरण हेतु जनता की निधि प्रयुक्त करने पर पाबंदी डालने की मांग की गई है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात