आषाढ शुक्ल पक्ष चतुर्थी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दू अधिवेशनमें उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठोंमें ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करनेवाले सातवें हिन्दुत्वनिष्ठ !
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बार्इं ओरसे श्री. महादेवन्का सम्मान करते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगले
रामनाथी(गोवा) : शुक्रवार, दिनांक २७ जूनको रामनाथी आश्रममें एक सत्संग आयोजित किया गया । इस सत्संगमें हिन्दू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू.डॉ.चारुदत्त पिंगळेजीके करकमलोंसे तृतीय अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनके लिए उपस्थित कन्याकुमारीके (तमिलनाडू) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके स्वयंसेवक श्री. महादेवन्का भगवान श्रीकृष्णका चित्र देकर सम्मान करते हुए घोषणा की गई कि श्री. महादेवनने (आयु ६२ वर्ष) ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । हिन्दू अधिवेशनमें उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठोंमें ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करनेवाले श्री. महादेवन् सातवें हिन्दुत्वनिष्ठ सिद्ध हुए हैं ।
संपूर्ण आयुमें मैंने केवल हिन्दुत्वके लिए ही कार्य किया ! – श्री. महादेवन्
इस अवसरपर अपना मनोगत व्यक्त करते हुए कहा कि मैं बाल्यावस्थासे ही मंदिरमें जाकर सेवा करता था । तत्पश्चात मैंने महाविद्यालयीन शिक्षा पूर्णकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके स्वयंसेवकके रूपमें पूरे जनपदमें भ्रमण किया । मैंने पूरे जीवनमें केवल हिन्दुत्वके लिए ही कार्य किया है ।
ऐसा अद्भुत हिन्दू अधिवेशन मुझे प्रथम ही देखनेको मिला ! आजतक मैं अनेक अलग-अलग बैठकों एवं अधिवेशनोंमें उपस्थित रहा हूं; परंतुऐसा अद्भुत हिन्दू अधिवेशन मुझे प्रथम ही देखने मिला है । इसलिए मैं भगवान श्रीकृष्णके चरणोंमें कृतज्ञ हूं ।
श्री. महादेवन् धर्मकार्यके लिए सदैव तत्पर रहते हैं ! – श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्, संस्थापक, हिंदू मक्कल मुन्नानी (हिन्दू जनता दल), तमिलनाडू
हिन्दू अधिवेशनमें ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त तमिलनाडुके हिन्दू मक्कल मुन्नानी संगठनके संस्थापक श्री. राधाकृष्णन् गोपालकृष्णन्ने श्री. महादेवन्की विशेषताएं बताते हुए कहा कि अप्रैल २०१४ में कन्याकुमारीमें आयोजित जनपदस्तरके हिन्दूू अधिवेशनके माध्यमसे श्री. महादेवन् हिन्दू जनजागृति समितिके संपर्कमें आए । तृतीय अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनके लिए वे कन्याकुमारीसे १ सहस्र ५०० किलोमीटर दूरीकी यात्रा कर यहां रामनाथी पहुंचे हैंए । उनमें बहुत नम्रता है । श्री. महादेवन् कन्याकुमारीके तीन आश्रमोंके न्यासी मंडलमें कार्यरत हैं; परंतु आश्रममें एक सेवक समान बर्तन मांजना तथा कूडा साफ करना आदि सेवाएं करते हैं । वे धनवान होते हुए भी साधारण व्यक्तिके समान जीवन निर्वाह करते हैं । श्री. महादेवन् धर्मकार्यके लिए सदैव तत्पर रहते हैं । वर्ष १९८२ में ईसाई मिशनरियोंने जब हिन्दुओंपर आक्रमण किया, तब तत्परतासे उन्होंने हिन्दुओंको संगठित किया । वर्ष १९७५ में आपात्कालके समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधीके विरोधमें श्री. महादेवन्के नेतृत्वमें तमिलनाडुमें प्रथम आंदोलन हुआ । श्री. महादेवन्द्वारा समय समयपर मार्गदर्शन मिलनेके कारण ही मैं सदैव हिन्दुत्वके कार्यमें सम्मिलित होता हूं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात