आषाढ शुक्ल पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११६
हिन्दूओंके मूकमोर्चेपर पुणे पुलिसद्वारा दमनचक्र !
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मुंबई, खेड, जुन्नर आदि क्षेत्रोंसे आनेवाले हिन्दुओंको सीमापर ही रोका !
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मोर्चेका साहित्य जब्त
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महिलाओंको पीनेके लिए पानी भी नहीं दिया गया !
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हिन्दुओ, आजाद मैदानके दंगेमें धर्मांधोंद्वारा मार खानेवाली पुलिस हिन्दुओंके वैधानिक मार्गसे निकाले जानेवाले मूकमोर्चेपर दमननीति करती है, यह जानें !
पुणे(महाराष्ट्र) : ‘फेसबुक’पर देवी-देवता एवं हिन्दुओंके राष्ट्रपुरुषोंके अनादरकी प्रतिध्वनि पुणेमें गूंजी; परंतु तत्पश्चात पुलिसकर्मियोंने हिन्दुओंपर एकपक्षीय कार्यवाही की । हिन्दू राष्ट्रसेनाके संस्थापक अध्यक्ष श्री.धनंजय देसाईको मोहसीन शेखकी हत्याके प्रकरणमें फंसाया गया है । इसके निषेधार्थ मूकमोर्चा निकालने हेतु हिन्दुओंको पुलिसद्वारा अनुमति नहीं दी गई तथा हिन्दुओंका मनोबल खस्सी करने हेतु भारी मात्रामें दबावतंत्रका उपयोग किया गया ।
(दो दिन पूर्व ही कांग्रेसके सांसद हुसेन दलवाई एवं कथित परिवर्तनवादियोंने इसी प्रकरणके संदर्भमें नगरसे पूणेतक मोर्चा निकाला था । इसके लिए अनुमति देनेवाली पुलिस हिन्दुओंके साथ भेदभाव करती है । उन्हें संवैधानिक अधिकारके अनुसार अपनी बात भी प्रस्तुत नहीं करने देती । इसका अर्थ यह कि हिन्दूबहुसंख्यक भारतमें वैचारिक सुन्ता हुए राजनेता हिन्दुओंके साथ ही इस्लामी शासनके समान व्यवहार कर रहे हैं । यह स्थिति परिवर्तित करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है ! – संपादक़, दैनिक सनातन प्रभात)
१. फेसबुक प्रकरणके उपरांत पुलिसकर्मियोंने अनेक हिन्दुओंका अकारण छल किया । उन्हें बार-बार पूछताछके लिए बुलाकरर बंदी बनानेकी धमकी दी गई । पुणे पुलिसने अनेक निर्दोष हिन्दुओंको दंगेके प्रकरणमें बंदी बनानेका काम किया ।
२. फरवरी माहमें कथित प्रक्षोभक पत्रक वितरित करनेके अपराधमें श्री.धनंजय देसाईको बंदी बनाया गया । तत्पश्चात राजनीतिक दबावके कारण श्री.देसाईको मोहसीन शेखकी हत्याके प्रकरणमें बंदी बनाया गया ।
३. इसका निषेध कर मूकमोर्चेके माध्यमसे हिन्दूुओंका कहना सरकारतक पहुंचानेके लिए ३०जूनको दोपहर ३.०० बजे ससून रुग्णालयके सामने अंबेडकर उद्यानकी ओरसे मोर्चेका आयोजन किया गया था ।
४. इस मोर्चेके लिए हिन्दू एकत्रित होनेसे पूर्व ही सैकडों पुलिसकर्मियोंने अंबेडकर उद्यानका घेराव किया । आनेवाले सभी हिन्दुओंको उन्होंने उद्यानमें नजरबंद किया ।
( क्या कभी पुलिसने ऐसा व्यवहार धर्मांधोंके संदर्भमें किया है ? केवल हिन्दुओंको कानूनका डंडा दिखानेवाली पुलिस यदि कभी आजाद मैदान समान दंगेमें फंसी तो क्या हिन्दू उन्हें मुक्त करवाएंगे ? – संपादक़, दैनिक सनातन प्रभात)
५. मुंबई, जुन्नर, खेड तथा नगरसे शहरमें आंदोलन हेतु आनेवाले हिन्दुओंको सीमापर ही रोका गया । उन्हें आंदोलनके लिए नहीं आने दिया गया । (पुलिसकी इस दमननीतिके विरोधमें यदि हिन्दू विद्रोह करें , तो क्या पुलिस उसका दायित्व लेगी ? – संपादक़, दैनिक सनातन प्रभात)
६. इस अवसरपर अनेक महिलाएं भी उपस्थित थीं । अंबेडकर उद्यानमे पानीका प्रबंध नहीं था । इन महिलाओंको पानी पीनेहेतु बाहर जानेसे पुलिसकर्मियोंने रोका ।
७. अनेक हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा लाए गए भगवे ध्वज तथा फलक आदि साहित्य पुलिसकर्मियोंने जब्त कर लिया ।
८.इसलिए अंतमें हिन्दुत्वनिष्ठोंके एक प्रतिनिधिमंडलद्वारा जिलाधिकारी सौरभ रावको निवेदन दिया गया ।
९. प्रतिनिधिमंडल वहांसे बाहर आनेपर समस्त हिन्दू दलके श्री. मिलिंद एकबोटेने कार्यकर्ताओंको संबोधित किया कि पुलिसने आजके आंदोलनको अनुमति अस्वीकार कर हिन्दुओंपर अन्याय किया है । इस कृत्यसे पुनः एक बार सिद्ध हो गया है कि वर्तमान राजनेता धर्मांधोंकी चापलूसी एवं हिन्दुओंपर अन्याय करते हैं । इसलिए आनेवाले चुनावमें सत्तापरिवर्तन अनिवार्य है !
१०. तत्पश्चात पुलिसकर्मियोंने उद्यानके सभी हिन्दूुओंको बंदी बनाया है, ऐसा बताया एवं उन्हें आपसमें प्रतिभूतिपर मुक्त किया । इस समय सभी हिन्दुत्वनिष्ठोंके नाम, पते तथा संपर्क क्रमांक आदि लिख लिए गए ।
११. इस अवसरपर सर्वश्री नेताजी जगताप, दिगंबर गेंट्याल, लाल महाल उत्सव समितिके श्री. चंद्रशेखर शिंदेके साथ पतित पावन, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद, श्रीशिवप्रतिष्ठान तथा हिंदू राष्ट्र सेना आदि हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंके सैकडों कार्यकर्ता उपस्थित थे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात