निर्भया के साथ दुष्कर्म की घटना में नाबालिग दोषी भले ही मुक्त हो गया हो, किंतु भविष्य में ऐसे जघन्य अपराध में लिप्त पाया जाने वाला १६ वर्ष का किशोर मुक्त नहीं होगा।
राज्यसभा ने मंगलवार को जुवेनाइल जस्टिस बिल में संशोधन कर किशोर की उम्र १८ से घटाकर १६ कर दी है। उच्च सदन ने करीब साढ़े चार घंटे चर्चा के बाद बहुमत से इस संशोधन बिल को मंजूरी दे दी।
राष्ट्रीय राजधानी में तीन वर्ष पहले चलती बस में हुए दुष्कर्म और दरिंदगी की पीडि़ता के माता-पिता राज्यसभा में इस बिल के पारित होने के गवाह बने। वह चर्चा के दौरान उच्च सदन में उपस्त्थित थे । विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं की पुनरावत्ति पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाने पर बल दिया। सदस्यों ने किशोर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर भी चिंता जताई और बाल सुधार गृहों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार को उचित कदम उठाने को कहा।
जुवेनाइल जस्टिस बिल-२०१५ को सदन में चर्चा के लिए रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि इसके प्रावधानों से निर्भया मामले में भले ही असर नहीं होता हो, लेकिन आगे के मामलों में यह प्रभावी कदम होगा।
निर्भया की मां ने कहा कि मुझे खुशी है कि बिल पास हो गया लेकिन दुख इस बात का है कि मेरी बेटी को न्याय नहीं मिल पाया।
निर्भया के पिता ने कहा कि यह राज्यसभा से पास बिल मेरी बेटी को श्रृद्धांजली है। मेनका गांधी ने बिल के पास होने पर खुशी जताते हुए कहा है कि सभी लोगों के इस बिल के पास होने के लिए समर्थन किया इसके लिए धन्यवाद।
स्त्रोत : लाइव्ह हिन्दुस्थान