आषाढ शुक्ल पक्ष नवमी, कलियुग वर्ष ५११६
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उज्जैन – भारत ही नहीं पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों में ऐसे हिंदू देवस्थान हैं, जो सनातन संस्कृति से पूरी दुनिया के लोगों को जोड़ते हैं। यह मंदिर मात्र धर्म और आस्था के ही स्थान नहीं है, बल्कि अपनी अद्भुत और अनूठी वास्तुकला के लिए भी पूरी दुनिया में जाने जाते हैं।
इन मंदिरों में से एक है कनाडा देश के टोरंटो शहर में स्थित स्वामीनारायण संप्रदाय का स्वामीनारायण मंदिर। यह मंदिर कनाडा में फिंच एवेन्यू के पास हाईवे नंबर ४२७ पर स्थित है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता है कि इसके निर्माण में इस्पात या लोहे का उपयोग नहीं किया गया है।
इस मंदिर का अधिकांश भाग अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से बना है। जिन पर भारत में ही हस्तशिल्प कार्य किया गया है। यह मंदिर मात्र १८ माह की छोटी सी अवधि में बनकर तैयार हुआ। मंदिर की सुंदर नक्काशी को नुकसान न पहुंचे। इसलिए इसकी दीवारों को छूना निषेध है। इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी अनेक रोचक बाते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- इस मंदिर के निर्माण में उपयोग किया गया लाईम स्टोन और संगमरमर क्रमश: टर्की और इटली से भारत लाया गया। बाद में इस पर हस्तशिल्प कर कनाडा ले जाया गया।
- जिन पत्थरों से इस मंदिर का निर्माण हुआ है, उन पत्थरों पर भारत के २६ स्थानों पर लगभग १८०० हस्तशिल्पियों ने कार्य किया है।
- यह मंदिर १८ एकड़ क्षेत्र में फैला है।
- मंदिर के १३२ तोरण, ३४० खंबों और छत के ८४ भागों के लिए २४ हजार नक्काशीदार संगमरमर और लाईम स्टोन पत्थर के टुकड़े उपयोग किए गए।
- इस मंदिर का निर्माण १०० भारतीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों ने किया है।
- पत्थरों पर की गई नक्काशी में भारतीय धर्म ग्रंथों और पुराणों से जुड़े देवी-देवता और चिह्न दिखाई देते हैं।
सनातन संस्कृति के अनुसार मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए स्वामी नारायण मंदिर में अनेक नियम और व्यवस्थाएं हैं, जो इस प्रकार हैं-
- मंदिर में भगवान के दर्शन सुबह ९ से दोपहर १२ बजे तक और शाम को 4 से 6 बजे तक होते हैं।
- मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण बनाए रखने के लिए शांत रहने का नियम बनाया गया है। साथ ही सुंदर नक्काशी को नुकसान न पहुंचे इसलिए दीवारों का छूना निषेध है।
- मंदिर में वस्त्रों की भी मर्यादा नियत की गई है। शार्ट या घुटने से ऊपर तक ऊंचाई वाले कपड़े की अनुमति न होकर उसके स्थान पर धोती या लुंगी दी जाती है।
- मंदिर में वस्त्रों की भी मर्यादा नियत की गई है। शार्ट या घुटने से ऊपर तक ऊंचाई वाले कपड़े की अनुमति न होकर उसके स्थान पर धोती या लुंगी दी जाती है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर