आषाढ शुक्ल पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११६
नास्तिक अंनिसवाले एवं तथाकथित बुद्धिवादियोंको इस विषयमें क्या कहना है ?
(विट्ठलनामसे केवल हृदयकी ऊर्जा ही नहीं बढती , अपितु आत्मबल भी बढता है, यद्यपि वारकरियोंके प्रत्येक कृत्यसे यह सिद्ध होता है, परंतु विज्ञान इतना प्रगत नहीं है कि उसे नाप सके । तथाकथित बुद्धिवादी क्या विज्ञानका यह पिछडापन स्वीकार करेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
पुणे (महाराष्ट्र) – वेदविज्ञान संशोधन केंद्रद्वारा स्पष्ट किया गया है कि संशोधनमें यह सिद्ध हुआ है कि महाराष्ट्रके आराध्य दैवत विट्ठलके नाममें हृदयकी ऊर्जा बढानेकी शक्ति है । इस संदर्भका संशोधन एशिएन जनरल ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन अंतर्राष्ट्रीय नियतकालिकमें प्रकाशित हुआ है । वेद विज्ञान संंशोधन केंद्र एवं इनामदार हार्ट क्लीनिककी ओरसे यह संशोधन किया गया था । हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. अविनाश इनामदारने इस संदर्भमें पत्रकार परिषदमें जानकारी दी । इस अवसरपर वेद विज्ञान संशोधन केंद्रके संचालक प्रसाद जोशी, डॉ. संजीवनी इनामदार, डॉ.रवि प्रयाग, सेंटर फॉर बायोफील्ड साइन्सके सुधीर नेऊरगावकर, ग्लोबल हेल्थकी संशोधिका डॉ.ज्युथिका लघाटे, रॉयल पुणे नीतिशास्त्र समितिके प्रमुख डॉ. पंकज जगतापका भी सहयोग मिला ।
१. २० से ६० वर्षकी अवस्थाके ३० स्वस्थ व्यक्तियोंपर यह प्राथमिक प्रयोग किया गया ।
२. विट्ठलनामका उच्चार करनेसे पूर्व एवं करनेके पश्चात हृदयांतर्गत जांचें की गर्इं ।
३. इसमें रक्तचाप, नाडीकी धडकन, ईसीजी, टू डी इको, कलर डॉप्लर आदि जांचें की गर्इं ।
४. विट्ठलनामका उच्चारण करनेके उपरांत रक्तचाप, हृदय एवं नाडीकी धडकन संंतुलित हुई ।
५. संशोधनके लिए भारतीय स्वरशास्त्र एवं मूर्र्तिशास्त्रका भी अभ्यास किया गया ।
६. उसीप्रकार पतंजली मुनिद्वारा आयुर्वेदमें वर्णित अष्टांग योगकी भी सहायता ली गई ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात