वाराणसी के शासकीय परिसर में स्थापित अनधिकृत मस्जिद का प्रकरण
शासकीय परिसर में स्थापित अवैधानिक मस्जिद पर कार्रवाई करने की मांग क्यों करनी पडती है ? शासन स्वयं कार्रवाई क्यों नहीं करता ? इस अवैधानिक मस्जिद में यदि आतंकवादी आकर निवास करने लगें, एवं कल वाराणसी पठानकोट हुआ, तो क्या उसका दायित्व प्रशासन लेगा ?
• अधिवक्ता श्री. कमलेश चंद्र त्रिपाठीद्वारा प्रशासन एवं पुलिस से मांग
• प्रशासनद्वारा दुर्लक्ष, पुलिसकर्मियोंद्वारा भी कार्रवाई करने को नकार !
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) : वाराणसी में विश्रामगृह का परिसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील माना जाता है !
इस विश्रामगृह के पूर्व द्वार के समीप परिसर में अंदर ही अवैधानिक रूप से एवं शासकीय कर्मचरियोंको डरा धमका कर मस्जिद का निर्माणकार्य किया जा रहा है !
साथ ही इस परिसर में अवैध रूप से वाहनतल भी बनाया गया है। इतना ही नहीं, अपितु उस पर ध्वनिक्षेपक लगा कर अजान भी दी जा रही है; परंतु इन सभी बातोंकी ओर प्रशासनद्वारा दुर्लक्ष किया जा रहा है !
इस संदर्भ में यहां के धर्माभिमानी अधिवक्ता श्री. कमलेश चंद्र त्रिपाठीद्वारा जिलाधिकारी को कार्रवाई हेतु निवेदन दिया गया; परंतु उनकी ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिला।
अधिवक्ता श्री. त्रिपाठी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी पत्र लिख कर इसके विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।
उन्होंने इस पत्र में ऐसी मांग भी की है कि, सुरक्षा उपकरण के द्वारा इस मस्जिद के परिसर में निस्संकोच रूप से आने-जानेवाले अनेक संदिग्ध युवक एवं विश्रामगृह की पूर्व दिशा के द्वार से नमाज हेतु जानेवाले लोगोंकी जांच की जानी चाहिए। जांच करने के पश्चात ही उन्हें परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
यह पत्र प्राप्त होने पर पुलिस अधीक्षकद्वारा विभागीय अधिकारियोंको कार्रवाई करने के आदेश दिए गए; परंतु इन अधिकारियोंने मस्जिद के पास जांच हेतु सुरक्षा कर्मचारी नियुक्त करने से धार्मिक तनाव बढने की संभावना को उपस्थित कर इसे अनुचित सिद्ध किया तथा सुरक्षा कार्रवाई को मुसलमानविरोधी बता कर कार्रवाई करना अस्वीकार किया। (वरिष्ठ पुलिस अधिकारियोंके आदेश को अस्वीकार करनेवाले पुलिसकर्मी सामान्य जनता के परिवाद पर किस प्रकार कार्रवाई करते होंगे, यह अलग से बताने की कोई आवश्यकता नहीं ! ये पुलिसकर्मी अवैधानिक मस्जिद में आनेवाले संदिग्ध लोगोंकी जांच करने को अस्वीकार करते हैं; परंतु हिन्दुओंद्वारा वैधानिक आंदोलन करनेवाले आंदोलनकारियोंपर लाठीप्रहार करते हैं, यह ध्यान में लें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात