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जलगांव (महाराष्ट्र) के पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनकी सफलता ! – अनुभवकथन

जलगांव (महाराष्ट्र)के पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनकी सफलता ! – अनुभवकथन

संक्षिप्त अनुक्रमणिका


जलगांव (महाराष्ट्र)के पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनकी सफलता ! – अनुभवकथन

नमस्कार,

महाभारतमें भीमने बकासुरका वध किया था, यह कथा आप सभीने सुनी ही होगी ।  बकासुर वधके उपरांत एकचक्रनगरीके तत्कालीन राजाने पाण्डवोंको एक भव्य भवन भेंट किया यही है पाण्डववाडा ! जलगांव जिलेके एरंडोल नामक नगरमें यह​ भवन आज भी है । यह भवन अब पुरातत्त्व विभागके नियंत्रणमें है । इस भवनपर अतिक्रमण कर मुसलमानोंने अवैध निर्माण कार्य किया है । वे यहां नमाज पढते हैं । सूर्योदयसे सूर्यास्त तक, पाण्डववाडा सभीके लिए खुला रहे, ऐसे स्पष्ट आदेश होते हुए भी वहां कभी-कभी ही प्रवेश मिलता है । इसका कारण यह है कि अनेक बार पाण्डववाडाके मुख्य द्वारपर ताला लगा होता है और पिछले द्वारपर मुसलमानोंका ही वर्चस्व है । इसलिए पाण्डववाडामें एकप्रकारसे हिन्दुओंका प्रवेश प्रतिबंधित है । इस प्रकरणमें हिन्दू जनजागृति समितिने वैधानिक मार्गसे आन्दोलन किया और हिन्दुओंको वहां प्रवेश दिलवाया । इस आन्दोलनके कुछ अनुभव मैं आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं ।

 

१. पाण्डववाडाके संदर्भमें आन्दोलन करने हेतु जलगांवमें

हिन्दू धर्मजागृति सभाके लिए उपस्थित १८ सहस्र हिन्दुओंका समर्थन

जलगांवके कुछ धर्मप्रेमियोंने हिन्दू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताआेंको सुझाया कि पाण्डववाडामें हिन्दुआेंको प्रवेश दिलानेके कार्यमें हिन्दू जनजागृति समिति नेतृत्व करे । पाण्डववाडाका धार्मिक महत्त्व तथा स्थानीय हिन्दुओंकी भावनाआेंको ध्यानमें रखते हुए २६ जनवरी २०१४ को समितिद्वारा जलगांवमें आयोजित की गई हिन्दू धर्मजागृति सभामें पाण्डववाडापर मुसलमानोंका अतिक्रमण यह विषय प्रस्तुत किया गया । इस समय समितिके वक्ताआेंद्वारा पूछनेपर कि इस प्रकरणमें यदि वैधानिक मार्गसे आन्दोलन किया जाए तो कितने लोग सहभागी होंगे ?, वहां उपस्थित १८ सहस्र हिन्दू बन्धुआेंने हाथ उठाकर नारे लगाते हुए समर्थन दिया । धर्मजागृति सभाके उपरांत कार्यकी अगली दिशा निर्धारित करनेेके लिए हुई बैठकमें इस प्रकरणपर चर्चा हुई ।

 

२. पाण्डववाडा हिन्दुओंकी पौराणिक धरोहर होनेके प्रमाणोंका अभ्यास करनेपर

आन्दोलन करना निश्‍चित करना

पाण्डववाडा हिन्दुओंकी पौराणिक धरोहर होनेकी शासकीय प्रविष्टियां (उद्धरण), विविध ऐतिहासिक ग्रंथोंमें किए उल्लेख, इसके साथ ही इससे पूर्वमें विविध सन्त तथा धर्मप्रेमी हिन्दुओंद्वारा इस प्रकरणमें किए गए आन्दोलनोंके सन्दर्भ मिले । अतएव पाण्डववाडा केवल हिन्दुआेंका है, यह विविध कागद-पत्रोंके प्रमाणोंसे सिद्ध हुआ । विविध जालस्थलोंपर उपलब्ध जानकारीद्वारा भी यह ध्यानमें आया कि हिन्दुओंकी ऐतिहासिक धरोहर पाण्डववाडापर कट्टरपंथियोंने अतिक्रमण किया । प्रमाणोंका अभ्यास करनेके उपरांत हमें प्रतीत हुआ कि पाण्डववाडामें हिन्दुआेंको प्रवेश मिले, यह ईश्‍वरकी इच्छा है और वही धर्मप्रेमी हिन्दुओंके माध्यमसे व्यक्त हो रही है ।

तदुपरांत हिन्दू जनजागृति समितिने इस प्रकरणमें आन्दोलन करना निश्‍चित किया तथा नियोजनकी दृष्टिसे सक्रिय कदम उठाना आरंभ किया ।

 

३. धर्मप्रेमियोंकी बैठकोंके माध्यमसे गांव-गांवमें

पाण्डववाडा बचाओ आन्दोेलन  नियोजन एवं प्रसार करना

अ. २९ जनवरी २०१४ को जलगांवमें हिन्दू धर्मप्रेमियोंके साथ बैठक की गई । उसमें धर्मप्रेमी हिन्दुआेंने १ मार्च २०१४ को संगठितरूपसे पाण्डववाडा बचाओ नामक आन्दोलन करनेका निश्‍चय किया ।

आ. २० फरवरी २०१४ को हुई बैठकमें ११५ धर्मप्रेमियोंकी उपस्थितिमें इस आन्दोलनकी दिशा निर्धारित की गई । इस समय आन्दोलनको सफल बनाने हेतु बैठक, व्यक्तिगत सम्पर्क आदिके माध्यमसे धर्मप्रेमी हिन्दू एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनोंको १ मार्चको होनेवाले भव्य मोर्चेमें सम्मिलित होने हेतु आवाहन किया गया ।

इ. तदुपरांत १० दिनोंकी कालावधिमें गांव-गांवमें धर्मप्रेमी हिन्दुआेंकी बैठकोंका आयोजन कर, उनतक विषय पहुंचाया गया । मोर्चेमें सहभागी होने हेतु व्यापारी, हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता, वारकरी संप्रदाय आदिको आवाहन किया गया ।

ई. नशिराबादकी बैठकमें ३०० धर्माभिमानी युवकोंने आन्दोलनमें सहभागी होनेका निश्‍चय कर उसके लिए वाहनोंका नियोजन किया । उन्होंने फलकप्रसिद्धि तथा गांवके अन्य गुटोंको संपर्क कर उनसे मोर्चेमें सहभागी होनेका आवाहन किया ।

उ. एरंडोलमें हुई बैठकमें ८० से भी अधिक धर्मप्रेमियोंने आसपासके विविध गांवोंका दायित्व स्वीकार कर, वहां मोर्चेका प्रसार करनेका दायित्व लिया ।

ऊ. पिंपरी पंचक्रोशीकी बैठकमें २५ गावोंके युवा उपस्थित थे । उन्होंने इन सर्व गावोंमें प्रसार कर, पाण्डववाडेपर हुए अतिक्रमणके सन्दर्भमें भारी मात्रामें जनजागरण किया । इसके परिणामस्वरूप इस भागसे विशाल जनसमुदाय आन्दोलनके लिए आया ।

 

४. देवस्थान, वारकरी एवं ग्रामपंचायतद्वारा पाण्डववाडाको

राष्ट्रीय स्मारक घोषित करनेकी मांग करनेवाला प्रस्ताव पारित किया जाना

आन्दोलनकी चरम सीमापर पाण्डववाडाको राष्ट्रीय स्मारकके रूपमें घोषित करें, ऐसी मांग करनेवाला प्रस्ताव श्री गणपति मंदिर देवस्थान विश्‍वस्त मण्डल, पद्मालय; श्री संत आदिशक्ति मुक्ताबाई देवस्थान, श्रीक्षेत्र मेहूण; सन्त माऊली वारकरी मण्डल मुक्ताईनगर, इसके साथ ही जलगांवमें आदिशक्ति मुक्ताई तापीतीर पायी दिण्डी समारोहमें सहभागी १२ दिण्डियोंने पारित किया । म्हसावद (धरणगांव) ग्रामपंचायतद्वारा भी इस सन्दर्भमें प्रस्ताव पारित किया । इस कारण आन्दोलनको समर्थन मिला ।

५. पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनके विषयमें प्रसारमाध्यमोंद्वारा जागरुकता फैलाना

अ. पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनके विषयमें समाचारपत्रोंको लेख प्रसिद्धि हेतु देकर, उसकेद्वारा हिन्दुओंके मोर्चेमें सहभागी होनेका आवाहन किया गया ।

आ. इस विषयपर पत्रकार परिषद आयोजित की गई । उसके समाचारको समाचारपत्रोंद्वारा प्रसिद्धि दिए जानेसे इस विषयमें जागरुकता फैली ।

इ. इस आन्दोलनकी जानकारी जालस्थलपर रखकर ऑनलाइन प्रसार किया गया । फेसबुकके माध्यमसे ७० लाख लोगोंतक यह विषय पहुंचाया गया ।

ई. जलगांव तथा निकटके परिसरमें १५ सहस्र हस्तपत्रकोंका वितरण किया गया । १ सहस्र ५०० भीतपत्रक जलगांव नगरके रिक्शा, इसके साथ ही नगर एवं गांवमें भीडवाले स्थानोंपर लगाए गए ।

उ. जलगांव नगरके परिसरमें बडे तथा छोटे प्रसिद्धिफलक लगाए गए ।

ऊ. जलगांव नगरमें रिक्शाद्वारा २ दिन नारे लगाकर, आन्दोलनमें सहभागी होनेका आवाहन किया गया ।

ए. मेरा महाराष्ट्र, गर्जा महाराष्ट्र तथा सुदर्शन इन समाचारवाहिनियोंद्वारा मोर्चेके आयोजकोंकी भेटवार्ताएं प्रसारित की गईं ।

ऐ. महाभारतकालीन पाण्डववाडामें केवल हिन्दुओंको ही प्रवेश मिले, इसके लिए राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोेलनके अन्तर्गत पाण्डववाडा बचाओ नामक आन्दोेलन महाराष्ट्र राज्यमें भी विविध स्थानोंपर किए गए ।

६. पुलिस तथा प्रशासनद्वारा पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलन कुचलनेका प्रयत्न !

१ मार्च २०१४ को भारी मात्रामें नवयुवक मोर्चेमें सहभागी होनेवाले हैं, यह ध्यानमें आनेपर पुलिसने दबावतंत्रका उपयोग कर गांव-गांवके धर्मप्रेमी युवकोंसे पूछताछ की । इस पूछताछके आधारपर जलगांवके मोर्चेमें सम्मिलित होनेवालोंकी सूची बनाई । इससे हिन्दुओंके मनमें भय निर्माण हुआ । मोर्चेकी उपस्थिति अल्प हो, इस उद्देश्यसे प्रशासनने झूठा समाचार फैला दिया कि मोर्चा निरस्त हो गया है । कुल मिलाकर इस मोर्चेको कुचलनेके लिए पुलिस एवं प्रशासनने सभी प्रयत्न किए । हिन्दू जनजागृति समितिने एक दिन पूर्व गांव-गांव जाकर वहांके युवकोंको समझानेका प्रयत्न किया कि यह आन्दोलन वैध है और पुलिस आन्दोलनकी परिणामकारकता न्यून करने हेतु दबावतंत्रका उपयोग कर रही है ।


 

७. पुलिस एवं प्रशासनके विरोधका डटकर सामना करते हुए

आन्दोलनस्थलपर ४ सहस्रोंसे भी अधिक हिन्दू एकत्र होनेसे प्रशासनका झुकना

सर्व प्रसारकी फलोत्पत्ति यह थी कि १ मार्चको सवेरेसे ही गांव-गांवसे धर्माभिमानी हिन्दुआेंका गुट जलगांवमें मोर्चेके स्थानपर संगठित होने लगा । सवेरे १० बजे ४ सहस्रसे भी अधिक हिन्दुओंकी उपस्थितिमें मोर्चा आरंभ हुआ । अंतमें जनपदाधिकारी कार्यालयके निकट मोर्चेका रूपान्तर सभामें हो गया । इस अवसरपर हिन्दुत्ववादियोंने पाण्डववाडासे अतिक्रमण दूर करनेकी मांग की  । जनपदाधिकारियोंको निवेदन देते हुए मांग की गई कि पाण्डववाडा राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए । इस आन्दोलनके फलस्वरूप तथा हिन्दुओंका संगठन देखकर स्थानीय प्रशासनने तत्काल आन्दोलनके ही दिन सायंकालमें पाण्डववाडामें हिन्दुओंको कायमस्वरूपी प्रवेश देनेके आदेश दिए ! इससे यह सिद्ध हो गया है कि हिन्दुओंकी संघशक्ति तथा ईश्‍वरके आशीर्वाद हो, तो संघर्ष करनेपर सफलता मिलती ही है ।

 

८. सर्वत्रके हिन्दुओंको सक्रिय बनानेवाला प्रेरणादायी पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलन !

        संपूर्ण भारतमें फैले अपने ऐतिहासिक प्रेरणास्रोतोंको मुसलमानोंके चंगुलसे छुडानेके लिए हिन्दुओंका जागृत एवं सक्रिय होना, कालकी आवश्यकता है ! पाण्डववाडा बचाओ आन्दोलनसे हिन्दुआेंने यह दिखा दिया है कि वैधानिक (कानूनी)मार्गसे हिन्दुओंका भवन  मुसलमानोंके चंगुलसे छुडाया जा सकता है ! भारतभरके हिन्दुओंको इस आन्दोलनसे प्रेरणा लेकर सर्वत्रकी वास्तुआेंको मुक्त करवाना चाहिए । इसके लिए पूरे भारतमें फैले हिन्दुओंको अपने परिसरकी ऐसी वास्तुआेंकी सूची बनाकर, इस विषयमें जनजागरण कर, हिन्दुओंका संगठन कर वैधानिक मार्गसे आन्दोलन करना, ये बातें कैसे करें, इसके लिए पाण्डववाडा आन्दोेलन उदाहरण निश्‍चितरूपसे प्रेरणादायी होगा ! नमस्कार ।

जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम् ।

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