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धार्मिक प्रथाओंको तोडने के लिए शनिशिंगणापूर में जानेवाले भूमाता ब्रिगेड के कार्यकर्ताओंको रोकिए ! – हिंदुत्वनिष्ठोंकी मांग

हिंदुत्वनिष्ठोंकी निवेदनद्वारा नगर के पुलिस और प्रशासन से मांग

शनिशिंगणापूर में शनिदेवजी के चबूतरे पर चढ़ने का असफल प्रयास करनेवाली भूमाता ब्रिगेड की तृप्ती देसाई, साथ ही अन्य महिलाएं

नगर (महाराष्ट्र) : पुरोगामिता एवं स्रीमुक्ती इनके नामपर तथा प्रसिद्धी के लालच में २६ जनवरी के दिन भूमाता ब्रिगेड की तृप्ती देसाई, साथ ही अन्य महिलाएं शनिशिंगणापूर के चबुतरेपर महिलाओंको प्रवेश की अनुमती न होनेपर भी वहां चढकर श्रद्धाभंजन करनेवाली हैं !

मंदिर व्यवस्थापनने पहले से ही कुछ वर्ष पूर्व ही चबुतरेपर चढकर शनिदेवजी को तेल अर्पण करने के लिए प्रतिबंध किया था।

आज आए दिन वहां सभी जाती-धर्मोंके महिला-पुरूष दूर से ही श्री शनिदेवजी का दर्शन करते हैं। इसलिए वहां केवल महिलाओंके लिए प्रतिबंध है, ऐसा कहना अनुचित है।

निवेदन देते हुए हिंदुत्ववादी

हेतुपूर्वक धार्मिक भावनाओंको क्षती पहुंचानेवाली भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ताओंको नगर जनपद में आने से रोका जाए, ऐसी मांग करनेवाला ज्ञापन नगर के पुलीस आयुक्त कार्यालय एवं जिलाधिकारी कार्यालय यहांपर दिया गया।

इस अवसरपर शिवसेना के पार्षद श्री. दिलीप सातपुते, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के श्री. संदीप खामकर, हिंदु राष्ट्र सेना के श्री. परेश खर्डे, आर्ट ऑफ लिव्हिंग के श्री. अमर कमळकर, पुरोहित महासंघ के श्री. बाळकृष्ण महाराज पंढरपूरकर, हिंदु जनजागृति समिति के श्री. सुनील घनवट, रणरागिणी शाखा की कु. प्रियांका लोणे एवं सनातन संस्था की श्रीमती मनीषा कावरे उपस्थित थे।

इस ज्ञापन में कहा गया है कि …..

१. आज आए दिन पुरोगामिता आंदोलन के नामपर कार्यरत धर्मविरोधियोंसे हिंदूओंके सहस्रों वर्षोंसे चली आ रही परंपराओंको विरोध किया जा रहा है तथा उनकी कोई भी धार्मिक आस्था ना होते हुए भी उनकी ओर से श्रद्धाभंजन की कृतियां हो रही हैं। इसमें उन्हें विनामूल्य मिलनेवाली ‘स्वप्रसिद्धी’ का हेतु ही अधिक दिखाई दे रहा है !

२. शनिशिंगणापूर में शनिदेवजी की स्वयंभू मूर्ति चबुतरेपर खडी है। मंदिर व्यवस्थापनने कुछ वर्ष पूर्व ही चबुतरेपर चढकर शनिदेवजी को तेलापर्ण करने प्रतिबंध लगाया था।

३. यह विषय स्रीमुक्ति का न होकर पूर्णरूपसे आध्यात्मिक स्तर का है। अशौच होते हुए, साथ ही चमडी की वस्तूएं परिधान किए हुए पुरूषोंको भी चबुतरेपर आने के लिए प्रतिबंध है। केवल इतनाही नहीं, अपितु पुरूषोंको चबुतरेपर चढने के पूर्व स्नान के द्वारा शरिरशुद्धी करना, साथ ही केवल धूत श्‍वेतवस्र परिधान करना भी आवश्यक होता है। इन नियमोंका पालन करनेवाले पुरूषोंको ही मात्र चबुतरेपर प्रवेश है। कथित पुरोगामी संगठन धर्म में होनेवाली प्रथा-परंपराएं एवं श्रद्धा इनपर हेतुपूर्वक आघात कर रहे हैं। धर्म की दृष्टी से इस प्रकार का आचरण सर्वथा अनुचित है।

४. ऐसी कृतियोंके कारण लाखों हिंदूओंकी धार्मिक भावनाओंपर आघात हो रहा है। पुरोगामियोंके इस प्रकार की अनुचित कृति के कारण श्रद्धालुओंके धार्मिक भावनाओंको क्षति पहुंच सकती है। भूमाता ब्रिगेड की तृप्ती देसाई एवं अन्य महिलाएं इन्होंने इसके पूर्व भी शनिशिंगणापूर में चबुतरेपर घुसने का प्रयास किया था; परंतु वहां स्थित सुरक्षाकर्मियोंके कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका था। उसके पश्‍चात इन महिलाओंने, सुरक्षाकर्मियोंने उनको मारपीट करने की झूठी शिकायत प्रविष्ट की थी !

५. इसलिए शनिशिंगणापूर में २६ जनवरी के दिन धार्मिक प्रथाओंको तोडने के लिए भूमाता ब्रिगेडद्वारा हेतुपूर्वक होनेवाले इस अपराध को रोकने के लिए पुलीस प्रशासन को उनको इसके पूर्व ही नगर जनपद में प्रवेश के लिए प्रतिबंध करना चाहिए तथा इस प्रकार की धर्मविरोधी कृति को रोकने के लिए उनपर कठोर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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