नई देहली – नोएडा और मेरठ में गरीब बच्चों को बंधक बनाकर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने का प्रकरण सामने आया है। बच्चों ने जबरन बाइबल याद कराने और न याद करने पर यातनाएं देने का आरोप लगाया है। आरोपों के घेरे में एनजीओ इमैनुअल सेवा ग्रुप है जिसके चाइल्ड होम से ये बच्चे बरामद किए गए हैं।
इस पूरे प्रकरण का खुलासा २९ दिसंबर को हुआ जब नोएडा में रहने वाली नीतू नाम की महिला ने एक व्यक्ती के विरूद्ध शिकायत प्रविष्ट कराई। महिला के आरोप के अनुसार तीन वर्ष पहले एक अस्पताल में उसकी भेंट जोसुआ देवराज नाम के व्यक्ती से हुई थी। आरोप के अनुसार जोसुआ ने उसे लालच दिया कि वो उसके बच्चे को सुविधाएं देंगे और आईएएस अधिकारी बनाएंगे। महिला के अनुसार वो लोग उन्हें ईसाई धर्म से जुडे पर्चे तथा बाइबल की प्रति ट्रेन और दूसरे क्षेत्रोमें बांटने के लिए कहते थे और बदले में एक पैसा भी नहीं देते थे।
शिकायत करने पर जब पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में ‘चाइल्ड होम’ में छापा मारा तो वहां ७ बच्चे बरामद हुए। वहां मिले कागजात से पता चला कि, इस संस्था का एक ‘चाइल्ड होम’ मेरठ के बिसरख क्षेत्र में भी है और नीतू के बच्चे वहीं पर हैं। जब पुलिस ने वहां छापा मारा तो वहां से २३ बच्चों को बरामद किया गया है।
सूत्रों के अनुसार वहां मिले कागजात की जांच में चौकानेवाली बात सामने आई। पता चला कि, बच्चों के दो-दो नाम थे। एक माता का दिया तो दूसरा संस्था का दिया। संस्था ने बच्चों के नाम के साथ मसीह (र्इसार्इ धर्मप्रवर्तक का नाम) जोड दिया था। इस बात से बच्चों के धर्म परिवर्तन की आशंका हुई। बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने उपस्थित कर उनके बयान दर्ज कराए गए तो उन्होंने चौकानेवाली कहानी सुनाई।
चाइल्ड होम में कई बच्चे तीन साल से ज्यादा समय से बंद थे। बच्चों ने आरोप लगाया कि चाइल्ड होम के लोग उन्हें जबरन बाइबल के संदेश याद करने के लिए कहते। उन्हें बेहद खराब स्थिती में रखा जाता था। फटे-पुराने कपडे दिए जाते। खाने में कई बार तिलचट्टा (कॉकरोच) तक मिलता। उन्हें महीने में एक बार वो भी केवल १५ मिनट के लिए माता-पिता से मिलने की अनुमती थी। जब संस्था को दान देने वाले लोग आते तो उन्हें अच्छे कपडे और भेट वगैरे देकर उनके सामने प्रस्तुत किया जाता।
बच्चों ने बताया कि, उन्हें दानदाताओं के सामने बाइबल सुनाने के लिए कहा जाता और उनके लौट जाने के बाद बच्चों से सब छीन लिया जाता । यदि कोई लडका बाइबल का कोई भाग भूल जाता तो उसे यातना दी जाती थी । एक बच्चे के अनुसार भूलने पर तीन दिन तक खाना नहीं मिलता और रस्सी से बांधकर छत से लटकाकर पीटा जाता था।
छापे के समय संस्था के संचालकों से जब संस्था के रजिस्ट्रेशन के कागजात मांगे गए तो वो उसे उपलब्ध नहीं करा सके हालांकि उन्होंने कई बच्चों के अभिभावकों के शपथ-पत्र अवश्य सौंपे जिसमें बच्चों के पालन पोषण का अधिकार उन्हें दिए जाने का उल्लेख था। इस शपथ पत्रों की जांच की जा रही है। वहीं ये भी जानकारी मिली है कि, जिला प्रोबेशन अधिकारी ने संस्था को सूचना जारी कर पूछा है कि वो बिना पंजीकरण कैसे संस्था चला रहे थे। ये भी आरोप लगा है कि, संस्था के लोग गरीब परिवारों को निशाना बनाते थे और उनके बच्चों का धर्म परिवर्तन कर दान देने वालों से पैसे ऐंठा करते थे।
स्त्रोत : खबर आइबीएन
Just as we cannot allow even a single cancer cell in our body, we cannot allow the forcible invaded anti-Vedic intolerant barbaric ideology / religion in our desh. iIt is a serious mistake we allowed after the 1947 partition. Now we need to correct the mistake.
jai sri Krishna!