श्रावण कृष्ण पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
. सेक्युलरिजमकी (निरपेक्षताकी) डींग हांकनेवाली कांग्रेसके राज्यमें उच्च एवं तंत्रशिक्षा विभाग केवल अन्य धर्मियोंको उनकी परंपराका पालन करनेकी अनुमति देता है, इसे क्या कहेंगे ?
. उच्च एवं तंत्रशिक्षा विभागका मुसलमानप्रेम
. ऐसा निर्णय लेनेवाले लोगोंको ‘हिन्दू राष्ट्र’में आजन्म कठोर साधना करनेका दंड दिया जाएगा !
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मुंबई : उच्च एवं तंत्रशिक्षा संचालकोंने इस आशयका परिपत्रक निकाला है कि विद्यालय एवं महाविद्यालयोंके प्रांगणमें मुसलमान छात्राओंको बुरखा धारण कर आनेपर प्रतिबंध लगाना अयोग्य है । महाविद्यालयोंको ऐसे आदेश नहीं देने चाहिए । बुरखेपर महाविद्यालय परिसरमें प्रतिबंध लगानेकी घटनाएं खेदनजक हैं । सामाजिक समता संजोना आवश्यक है । (हिन्दुओ, कान्वेंट एवं अनेक ईसाईसमर्थक विद्यालयोंमें हिन्दू विद्यार्थियोंको तिलक, कुमकुम अथवा बिंदी लगाने तथा राखी बांधने जैसे कृत्योंपर प्रतिबंध लगाया जाता है । इतनाही नहीं, अपितु मराठी बोलनेपर छोटे बालकोंको भी अध्यापकोंद्वारा पीटा जाता है; परंतु अन्य धर्मियोंकी चापलूसी की जाती है, यह जानें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) कुछ समय पूर्व कुछ विद्यालय एवं महाविद्यालयोंमें परीक्षाकी कालावधिमें मुसलमान छात्राओंके बुरखा पहननेपर प्रतिबंध लगाया गया था । इसपर आपत्ति उठाते हुए यह परिपत्रक सभी महाविद्यालयोंको दिया गया है ।
१. बुरखा पहननेपर प्रतिबंध लगाते ही ‘मुवमेन्ट फॉर वुमेन वेल्फेयर’ संस्थाद्वारा त्वरित हस्तक्षेप किया गया एवं ऐसा न होनेहेतु विस्तृत आदेश दिए गए । (यदि ऐसा ही है, तो ‘मुवमेन्ट फॉर वुमेन वेल्फेयर’ महिलाओंको मस्जिदमें प्रवेश करने हेतु प्रयास कर दिखाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. मुंबईके कुछ महाविद्यालयोंमें हुई घटनाओंके कारण सामाजिक संतुलन बिगडनेकी अत्यधिक संभावना है । (महाविद्यालयद्वारा सभीके साथ समान आचरण होने हेतु ही गणवेश (ड्रेस कोड) लागू कर वैसे नियम बनाए गए थे । इसलिए तंत्रशिक्षा विभागकी कार्यप्रणालीमें कौनसा परिवर्तन होनेवाला था ? मुसलमान महिलाओंका बुरखा पहनना पिछडेपनका लक्षण है, ऐसा मुसलमान सुधारवादियोंका भी मत है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) उच्च एवं तंत्रशिक्षा विभागद्वारा ऐसे आदेश दिए गए हैं कि किसी भी धर्मसे संबंधित संवेदनशील आदेश निकालते समय महा-विद्यालयोंको यह सावधानी बरतनी चाहिए कि किसीकी भावनाएं आहत न हो । (क्या उच्च एवं तंत्रशिक्षा विभाग अथवा राजनेताओंने हिन्दुओंकी धर्मभावनाओंका इस प्रकारसे कभी ध्यान रखा था ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात