श्रावण कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
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शिवसेनाप्रमुखके निधनके पश्चात अपमानजनक वक्तव्य देनेवाली युवतियोंको बंदी बनानेवाला प्रकरण
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हिन्दुओंके नेताओंके संदर्भमें अपमानजनक वक्तव्य देनेवालोंको ही हानिपूर्ति प्रदान करनेके मानवाधिकारवालोंका आदेश संतापजनक !
मुंबई – शिवसेनाप्रमुख बाळासाहेब ठाकरेके निधनके पश्चात बंदका पालन क्यों करना चाहिए, फेसबुकपर ऐसी प्रतिक्रिया प्रसारित करनेवाली दो युवतियोंको बंदी बनाया गया था । यह प्रकरण अवैध था, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोगद्वारा ऐसा मत व्यक्त किया गया है । साथ ही आयोगकी ओरसे महाराष्ट्र शासनको इन युवतियोंको (प्रत्येकको) ५० सहस्र रुपए हानिपूर्ति प्रदान करनेके आदेश दिए गए हैं । (यदि ऐसा है, तो हिन्दुओंके देवता एवं राष्ट्रपुरुषोंका अनादर कर पूरे महाराष्ट्रमें हिंसा फैलानेवालोंको बंदी बनानेके लिए मानवाधिकारवाले क्या कृत्य करेंगे ? इस समय पुणेमें धर्मांधोंने निखिल तिकोणे नामक हिन्दू युवककी तीव्र पिटाई की । इस संदर्भमें मानवाधिकारवाले क्या करेंगे ? केवल हिन्दुओंकी भावना आहत करनेवालोंको अभय दान देनेवाले मानवाधिकारवालोंकी यह दोहरी नीति हिन्दू कितने दिनोंतक सहेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. शिवसेना प्रमुखके निधनके पश्चात ठाणे जनपदके पालघरमें एक युवतीने फेसबुकपर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी तथा उसकी सहेलीने उसे प्रतिसाद दिया था ।
२. इसलिए पालघरके शिवसैनिक संतप्त हुए थे ।
३. तदुपरांत पुलिसने उन युवतियोंको बंदी बनाया था । इसपर आयोगका कहना है कि यह प्रकरण भाषा एवं अभिव्यक्ति स्वतंत्रतापर आपत्ति था ।
४. यदि इन युवतियोंको हानिपूर्ति नहीं की गई, तो आयोगद्वारा कार्रवाईकी चेतावनी भी दी गई है ।
५. आयोगका कहना है कि प्रतिक्रिया व्यक्त करनेके पीछे इन युवतियोंका कोई भी बुरा उद्देश्य नहीं था, साथ ही इससे किसी भी वर्ग अथवा धर्मकी भावनाएं आहत नहीं हुई हैं । (शिवसैनिकोंकी भावना आहत करनेके कारण ही इन युवतियोंके विरोधमें परिवाद प्रविष्ट हुआ था, ऐसा होते हुए भी मानवाधिकारवाले यह मनचाहा निष्कर्ष क्यों निकाल रहे हैं ? क्या ये मानवाधिकारवाले शिवसैनिकोंकी सहनशीलताका अंत देख रहे हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात