श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
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रमजान उपवास करने का पर्व है लेकिन अरब देशों में लोग बड़ी मात्रा पर खाने-पीने के सामानों की बर्बादी भी कर रहे हैं। यह खबर खाड़ी के अखबार गल्फ न्यूज ने दी है। इस्लाम की जन्मभूमि सऊदी अरब में रमज़ान के दौरान बड़े पैमाने पर खाना फेंक दिया जाता है। वहां साल में औसतन १.६ अरब रियाल (लगभग २ लाख ५६ हजार करोड़ रुपए) का खाना फेंका जाता है।
सऊदी अरब हर साल ११ लाख टन चावल दूसरे देशों से मंगाता है। इसमें से ४४० टन पका हुआ चावल बर्बाद हो जाता है। यूएई में सबसे ज्यादा बर्बादी अबूधाबी में हो रही है जहां के निवासी हर साल ११ लाख टन यानी कुल खाने का ३९ प्रतिशत बचा हुआ खाना फेंक देते हैं।
इसी तरह दुबई भी इसमें काफी आगे है। वहां हर रोज पके हुए खाने का एक तिहाई से भी ज्यादा फेंक दिया जाता है। रमज़ान में तो पके हुए खाने का ५५ प्रतिशत फेंक दिया जाता है। सऊदी अरब के पड़ोस में कतर है जो दुनिया के सबसे अमीर देशों में है। वहां रमज़ान के दौरान एक चौथाई खाना फेंक दिया जाता है।
हालत यह है कि वहां के आधे लैंडफिल बचे हुए खाने से अटे पड़े हैं। उन्हें फेंकने तक के लिए जगह भी नहीं है। यही हाल बहरीन का भी है जो तेल के मामले में काफी समृद्ध है। वहां भी रमज़ान के दौरान बड़े पैमाने पर खाना बर्बाद किया जाता है।
रोज़ेदार एक दिन पुराना खाना नहीं खाते और इफ्तार के दौरान कई तरह के पकवान बनवाते हैं। इतना खाना वे नहीं खा पाते हैं और बर्बाद करते हैं। लेकिन अब वहां थोड़ी जागृति हुई है।
बहुत सारे स्वयंसेवी संगठन लोगों को समझा रहे हैं कि रमज़ान सादगी का पर्व है और इस दौरान खाने की बर्बादी गलत है। अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक खाना बनाना और खाना गलत है। उनका कहना है कि यह महीना अपने पर नियंत्रण रखने का है। वे अमीरों के यहां से खाना इकट्ठा करके उसे ग़रीबों में बांट रहे हैं।
स्त्रोत : आजतक