श्रावण शुद्ध २, कलियुग वर्ष ५११४
मंदिरोंके विषयमें निर्णय लेनेका अधिकार धर्माचार्योंको है, हिंदुओंके मंदिर तोडनेवाली कर्नाटक सरकारको मंदिरोंको आदेश देनेका क्या अधिकार ?
बेंगळुरु – कर्नाटक राज्यमें अकालग्रस्त क्षेत्रमें वर्षा होने हेतु २७ जुलाई एवं ७ अगस्तको ३४ सहस्र मंदिरोंमें विशेष पूजा करनेका आदेश कर्नाटककी भाजपा सरकारद्वारा दिया गया है । ( हिंदुओ, ऐसे आदेश दिए जाना मंदिर सरकारीकरणका दुष्परिणाम है ! कल यही सरकार मंदिरोंको कोई भी आदेश देकर उसका पालन करनेका आग्रह करेगी । दूसरी बात यह कि कर्नाटक सरकारद्वारा इससे पूर्व ही राज्यके सैकडो मंदिरोंको अवैध सिद्ध कर उन्हें तोडनेका पाप किया गया है । हिंदू मंदिरोंमें हिंदुओंद्वारा अर्पण किया गया पैसा सरकारद्वारा चर्च एवं मदरसोंको प्रसादके समान वितरित किया गया । यदि राजा धर्माचरणी न हो, तो अकाल, बाढ शत्रुके आक्रमण, टोल आक्रमण आदि संकट आते हैं । देशकी दुःस्थितिके लिए सर्वपक्षीय शासक उत्तरदायी हैं इसलिए हिंदुओंद्वारा राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी शासकोंका हिंदु राष्ट्र स्थापित करनेसे, ऐसी स्थिति ही नहीं उत्पन्न होगी ! -संपादक) सरकारने सुझाव दिया है कि, पूजाके लिए प्रत्येक मंदिरके न्याससे ५ सहस्र रुपए लिए जाएं । इस पूजाके लिए कुल मिलाकर १७ करोड रुपए व्यय किए जाएंगे । (हज यात्रापर करोडो रुपए अनुदान देनेवाले शासकोंने पूजाके लिए मंदिरोंके पैसेका उपयोग करनेके स्थानपर स्वयंके पैसोंसे पूर्ति करनी चाहिए ! – संपादक )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात