श्रावण कृष्ण पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११६
. . . एक हिन्दू समाचारप्रणाल अनिवार्य है !
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बाइंओर बोलती हुए श्रीमती उमा रविचंद्रन, श्री. मुरलीधरन एवं श्री. कनगसभापथी
चेन्नई : थिरुवन्मियुरके वासुदेवनगरमें थिरुवन्मिरयुके – श्री रामचंद्र वैद्यकीय विश्वविद्यालय मैदानपर आयोजित मेलेके निमंत्रकोंने हिन्दू जनजागृति समितिकी श्रीमती उमा रविचन्द्रनको १२ जुलाईको ‘पारिवारिक मूल्य संजोनेमें महिलाओंकी भूमिका’ विषयपर आयोजित परिसंवादमें सम्मिलित होने हेतु आमंत्रित किया गया था । इस परिसंवादका अध्यक्षपद सेंटर फॉर इंडियन इकॉनॉमिक्स एंड कल्चर स्टडीजके संचालक डॉ. पी. कनगसभापथी एवं चार्टर्ड एकाऊंटेन्ट एवं स्वदेशी जागरण मंचके निमंत्रक श्री. मुरलीधरनने एकत्रित रूपसे विभूषित किया था । इस परिसंवादमें ७० जिज्ञासु सम्मिलित हुए । इस परिसंवादके अंतमें प्रश्नोत्तरोंका कार्यक्रम संपन्न हुआ ।
१. प्रश्न : इतने महत्त्वपूर्ण विषय चर्चामें होते हुए प्रसारमाध्यम हस्तक्षेप क्यों नहीं करते ?
उत्तर : श्री. मुरलीधरनने कहा, हां यह दुर्भाग्यकी बात है । श्रीमती उमा रविचन्द्रनने कहा कि हम दूरचित्रवाणीपर अनेक इस्लामी एवं ईसाई समाचारप्रणाल देखते हैं; परंतु हिन्दुओंका एक भी समाचारप्रणाल नहीं है । इसीलिए प्रसारमाध्यम हिन्दुओंके कार्यक्रमोंपर ध्यान नहीं देते । इसलिए एक हिन्दू समाचारप्रणाल अनिवार्य है ।
२. प्रश्न : क्या हिन्दू धर्म एवं संस्कृतिका प्रसार करनेके लिए सरकारकी सहायता नहीं ले सकते ?
उत्तर : अध्यक्षने इस प्रश्नका उत्तर देने हेतु श्रीमती उमा रविचन्द्रनको ही आमंत्रित किया । उन्होंने कहा कि यदि कलियुगमें हिन्दुओंने एकत्रित आकर सांघिक रूपसे कार्य किया, तो कुछ भी असंभव नहीं है । इस कार्यके लिए हम सरकारकी सहायताकी अपेक्षा नहीं कर सकते । सरकार राजनीतिक उद्देश्यसे काम करती है । उसे तत्त्वोंसे कोईलेना-देना नहीं है । इस प्रकारके परिसंवाद एवं सभाओंके माध्यमसे ही हम हिन्दुओंको जागृत कर उन्हें एकत्रित कर सकते हैं ।
३. प्रश्न : अमेरिकाकी आर्थिक स्थिति कठिन होते हुए भी भारतीय युवक अमेरिकाकी ओर क्यों मुडते हैं ?
उत्तर : श्री. मुरलीधरनने इस विषयपर एक दृकश्राव्य कार्यक्रम प्रस्तुत किया । उन्होंने कहा कि इन युवकोंको धीरे-धीरे परीस्थितीकी कल्पना आएगी । धर्मशिक्षाका महत्त्व विशद कर कहा उन्होंने कहा कि किसी वस्तुका उद्घाटन कैसे करें आदि विषय धर्मशिक्षाके माध्यमसे हिन्दुओंतक पहुंचाने हेतु सभी धर्माभिमानियोंको धर्मप्रसारमें संमिलीत होना चाहिए ।
उपर्युक्त परिसंवादमें हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा संतों एवं कुछ स्थानीय घटनाओंका संदर्भ लेकर धर्मशिक्षाका महत्त्व बताया गया । समितिके इस कार्यक्रमकी श्री. कनगसभापथीने प्रशंसा की । परिसंवादमें उपस्थित महिलाओंने कहा कि इस परिसंवादसे उन्हें बहुत सीखनेको मिला । उन्होंने इस विषयको अन्य लोगोंतक पहुंचानेका आश्वासन दिया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात