Menu Close

महाराष्ट्र के भिवंडी में ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन’ संपन्न !

हिंदूओंपर होनेवाले अत्याचारोंकी अनदेखी ‘स्वाभिमान’ खोने का लक्षण ! – श्री. पंडित दिवाकर जोशी, वि.हिं.प. धर्माचार्य

आंदोलन को संबोधित करते हुए श्री. पंडित जोशी

भिवंडी (महाराष्ट्र) : हिंदूओंपर अत्याचार होते समय उसकी ओर हम से कुछ लेना-देना न होने जैसी दृष्टी से देखा जाना, यह हमारा स्वाभिमान खो देने का लक्षण है !

हिंदूओंको उनपर होनेवाले अत्याचारोंके विरोध में संगठीत हो कर लडना चाहिए। केवल हाथों मे ध्वज लेना पर्याप्त नहीं, ऐसा प्रतिपादन विश्‍व हिंदू परिषद के धर्माचार्य श्री. पंडित दिवाकर जोशी ने यहां पर हुए ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन’ में किया।

‘’कश्मीरी पंडितों से न्याय करो’, ‘सब आश्‍वासन बकवास है’, ‘हिंदूओंका नारा है, अखंड कश्मीर हमारा है !’’ ऐसी घोषणाएं देते हुए विविध हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंने स्थानिकोंको अपने समेत लेकर अन्याय के विरोध में इस ‘राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन’ के माध्यम से ‘रणशिंग’ फूंका !

इस आंदोलन में मानव हित सेवा संस्था के श्री. अनुप शुक्ला, बजरंग दल के श्री. उपेंद्र शुक्ला, शिवपूजन समिति के श्री. बिपीन गायकवाड, भिवंडी के शिवसेना के विभागप्रमुख श्री. सुरज ठाकूर, हिंदु जनजागृति समिति के सर्वश्री प्रशांत सुर्वे, अतुल देव, विश्‍वनाथ कुलकर्णी आदि कार्यकर्ता सहभागी हुए थे।

इस अवसरपर अनेक लोगोंने शासन को सौंपे जानेवाले ज्ञापनपर अपने हस्ताक्षर कर विरोध जताया !

Kashmir1_C

हिंदूओंकी सुरक्षित वापसी के लिए स्वतंत्र रूप से ‘पनून कश्मीर’ नामक केंद्रशासित प्रदेश को मान्यता दी जाए ! – श्री. अनुप शुक्ल, अध्यक्ष, मानव हित सेवा संस्था

इस स्वतंत्र भारत में कश्मीर घाटी के हिंदूओंपर पाकिस्तानद्वारा प्रायोजित जिहादी आतंकवादियोंके माध्यम से आक्रमण किए गए।

इसमें सहस्रों हिंदूओंकी हत्या की गई, सहस्रों महिलाओंपर बलात्कार किए गए। इस कारण वर्ष १९९० में ४.५ लाख से भी अधिक हिंदूओंको कश्मीर घाटी से विस्थापित होना पडा !

इस घटना को १९ जनवरी २०१६ को २६ वर्ष पूरे हो रहे हैं !

अभी भी उनका पुनर्वास नहीं किया गया है तथा वे न्याय से वंचित हैं। इसलिए कश्मीरी हिंदूओंपर हुए अत्याचारोंको ‘वंशसंहार’ के रूप में देखा जाना चाहिये, उन अत्याचारोंकी न्यायिक आयोगद्वारा निर्धारित समयसीमा में जांच की जाए एवं इन हिंदूओंकी सुरक्षित वापसी के लिए ‘पनून कश्मीर’ नामक केंद्रशासित क्षेत्र की मान्यता दी जाए !

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्था के (एन्.सी.ई.आर.टी.) के पाठ्यक्रम में भारतिय संस्कृति के विषय में अवमानजनक जानकारी देनेवाले एवं हिंदुद्वेष उत्पन्न करनेवाले लेखन में तुरंत परिवर्तन किया जाए, साथ ही इस अयोग्य जानकारी को पाठ्यक्रम में समाविष्ट करनेवाले संबंधित अधिकारियोंपर कठोर कार्रवाई की जाए, ऐसी मांग भी अन्य मान्यवरोंने की।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *