मौलाना सलमान नदवी ने आतंकी अबूबकर को पत्र लि‍खकर दी बधाई !

श्रावण कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६


 लखनऊ – मौलाना सलमान नदवी ने इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड अल शाम (आईएसआईएस) के सरगना आतंकी अबूबकर बगदादी को एक पत्र लिखकर उसकी हुकूमत को बधाई दी है। इस खबर से लोगों में खलबली मच गई है। वहीं, शि‍या धर्मगुरु मौलाना कल्‍बे जव्‍वाद ने इस पर तीखी प्रति‍क्रि‍या व्यक्त करते हुए केंद्र और प्रदेश सरकारों से इस मसले में जल्द कार्रवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा कि‍ जिस आतंकी ने कश्मीर और गुजरात में जिहाद का नारा दिया है उसको इस प्रकार से बधाई का पत्र भेजना जांच का विषय है। सलमान नदवी प्रख्यात धर्मगुरु और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदर स्वर्गीय मौलाना अबुल हसन नदवी उर्फ अली मियां के नाती हैं।

 

खुद सलमान नदवी ने की इस पत्र की पुष्‍टि‍

सलमान नदवी ने खुद भी इस पत्र की पुष्टि की है। वहीं, दो पृष्ठ का अरबी भाषा में लि‍खा यह पत्र वाट्स एप पर भी चल रहा है। उन्‍होंने कहा कि यह पत्र वाट्स एप पर इसलि‍ए डाल दिया था कि खलीफा अबूबकर बगदादी का पोस्टल एड्रेस उनको नहीं मालूम था। वहीं, इस पत्र से खुफि‍या एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।

पत्र में लि‍खे बातों का कुछ मुख्‍य अंश

पत्र में लि‍खा गया है कि‍ आतंकी अबु बकर बगदादी मुसलमानों का अमीर अर्थात लीडर हैं। खुदा उनकी रक्षा करे और इस्लाम का परचम बुलंद हो। दारुलउलूम नदवातुल उलेमा में शिक्षा देने वाले मौलाना सलमान नदवी ने अपने इस पत्र में बगदादी के उस ‘शुक्रवार’ प्रवचन का उल्लेख किया है जो उसने मोसुल में मार-काट के बाद पहली बार वहां कि जमा मस्जिद में दिया था।
सलमान ने पत्र में लि‍खा है, ‘जितने सुन्नी कबीले हैं वह आपके साथ हैं। उनके अतिरिक्त जेहादी संगठन भी हैं। आप जो भूमिका निभा रहे हैं उसको सभी ने स्वीकार किया है और आप को अमीर उल मोमेनीन (मुसलमानों का रहनुमा) मान लिया है।’ वहीं, पत्र में आतंकी अबु बकर से यह आशा की गई है कि वह इराक की पूरी मलिकी सरकार को उखाड़ फेंके।

सलमान ने यह उम्‍मीद भी जताई है कि‍ दौलत-इ-इस्लामिया, खिलाफत-इ-इस्लामी में परिवर्तित हो जाए, ताकि‍ एक धरम वाले दूसरे धरम वाले को निशाना न बनाएं। न सुन्नी को मारा जाए और न ही शिया का कत्‍ल किया जाए। उस दशा में कत्‍ल किया जाए जिसका हुक्म दिया गया है अर्थात जो खुदा और रसूल के खिलाफ जंग कराए। पत्र में यह भी लि‍खा गया है कि‍ किसी भी सूरत में बच्चों, बूढ़ों और औरतों का कत्‍ल जायज नहीं है, लेकि‍न जब उन पर जुर्म साबित हो तो सच्चे काजि‍यों के आदेश से कत्‍ल किया जा सकता है।

स्त्रोत : दैनिक भास्कर 

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