श्रावण कृष्ण पक्ष दशमी, कलियुग वर्ष ५११६
ध्येय प्राप्त करनेके लिए प्रत्येकके जीवनमें गुरूकी आवश्यकता है ! – अधिवक्ता श्री. अमृतेश
कुनिगल (कर्नाटक) – यहांके गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें मार्गदर्शन करते हुए बेंगलुरूके प्रसिद्ध अधिवक्ता श्री. अमृतेशने कहा कि ध्येय प्राप्त करनेके लिए प्रत्येकके जीवनमें गुरूकी आवश्यकता होती है । वर्तमानमें हिन्दू धर्मपर अनेक आघात हो रहे हैं । बांग्लादेश एवं पाकिस्तानके हिन्दुओंकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है । इसलिए हिन्दुओंको एकत्रित आकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है । अतः कुनिगलके प्रत्येक हिन्दूको धर्र्मकार्यके लिए प्रतिदिन १ घंटा देना चाहिए । इस गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें ३०० से अधिक धर्माभिमानी उपस्थित थे ।
क्षणिका :
कुनिगलके नगरपालिकाके भूतपूर्व अधिकारी तथा भाजपाके कार्यकर्ता श्री. बलराम, नगरपालिकाके नगराध्यक्ष श्री. हरीश एवं अधिवक्ता श्रीमती विशालाक्षीने गुरुपूर्णिमा महोत्सवका लाभ उठाया ।
‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना शीघ्र गतिसे होनेके संकेत दिखाई देने लगे हैं ! – श्री. चक्रवर्ती सुलिबेले, जागो भारत
बेंगलुरू (कर्नाटक) : यहांके गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें मार्गदर्शन करते हुए ‘जागो भारत’के श्री. चक्रवर्ती सुलिबेलेने कहा कि भारत हमारी संस्कृतिद्वारा मांके समान, भौगोलिक दृष्टिसे पिताके समान एवं गुरुरूपसे आध्यात्मिक स्वरूपमें भरण-पोषण कर रहा है । विश्वमें ऐसा अन्य देश नहीं है । आसपासके सभी राष्ट्र भारतके लिए प्रतिकूल होते हुए भी केवल आध्यात्मिक बलके कारण ही भारतका अस्तित्व अबतक टिका हुआ है । हमने कितनी भी भौतिक प्रगति की हो;परंतु बिना आध्यात्मिक बलके कुछ भी नहीं टिक सकता । आज संत एवं साधकोंके प्रयत्नोंके कारण परिवर्तन हो रहा है । ऐसा प्रतीत होता था कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना मेरे पोतोंकी कालावधिमे होंगी; परंतु ऐसे संकेत दिखाई देने लगे हैं कि अब वह शीघ्र गतीसे होगी । इस महोत्सवमें लिए २७० जिज्ञासू उपस्थित थे ।
भारत एक देवालय है ! – श्रीमद् निरंजन प्रणव स्वरूपी अभिनव बुदिश्वर स्वामीजी
गदग (कर्नाटक) : यहांके गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें मार्गदर्शन करते समय होसहळ्ळीके बुदिश्वर संस्थान मठके श्रीमद् निरंजन प्रणव स्वरूपी अभिनव बुदिश्वर स्वामीजीने कहा कि भारतके नामका उच्चारण करते ही पूरा विश्व नतमस्तक होता है; क्योंकि भारत एक देवालय है । वर्तमानमें हिन्दू धर्मपर संकट आया है । हिन्दू धर्मको अपने लोगोंसे ही धोखा है । जबतक हम नहीं सुधरेंगे, तबतक धर्मपर आया हुआ संकट नहीं टलेगा । इस महोत्सवमें २७० जिज्ञासू उपस्थित थे ।
क्षणिका :
श्रीमद् निरंजन प्रणव स्वरूपी अभिनव बुदिश्वर स्वामीजीने कहा कि गुरुपूर्णिमा सभागृहमें प्रवेश करते ही यहांकी सात्त्विकतासे मुझे आनंद हुआ ।
‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापनाके कार्यमें सम्मिलित होनेका भाग्य मिला,
यह प.पू. डॉ. आठवलेजीकी ही कृपा ! – श्री. प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना
हुब्बळ्ळी (कर्नाटक) : यहांके गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें मार्गदर्शन करते हुए श्रीराम सेनाके संस्थापक एवं अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिकने कहा कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापनाके कार्यमें सम्मिलित होनेका भाग्य केवल प.पू. डॉ. आठवलेजीकी कृपासे ही हमें प्राप्त हुआ है । जीजामातासे ही छत्रपति शिवाजी महाराजको हिन्दवी स्वराज्यकी स्थापनाके विचार मिले । मुगलोंका नाशकर हिन्दवी स्वराज्यकी स्थापनाके विचार शिवाजी महाराजके मनमें बाल्यावस्थासे ही जीजामाताने अंकित किए । प्रत्येक घरमें शिवाजी है; परंतु हम ही जिजामाता नहीं बनते । इस गुरुपूर्णिमामें ४०० से अधिक जिज्ञासू एवं धर्माभिमानी हिन्दू उपस्थित थे ।
उडुपीमें (कर्नाटक) गुरुपूर्णिमा निमित्त राष्ट्ररक्षा एवं नैतिक मूल्य संवर्धन शिविर
उडुपी (कर्नाटक) : गुरुपूर्णिमाके निमित्त उडुपीमें राष्ट्ररक्षा एवं नैतिक मूल्य संवर्धन शिविर संपन्न हुआ । इस अवसरपर श्री. राजेंद्र भटने ‘राष्ट्र एवं धर्मकी दुरावस्था एवं उसपर समाधान’के विषयमें प्रखर विचार प्रस्तुत किए । इस शिविरको ४५० हिन्दू उपस्थित थे ।
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात