नई देहली : रुडकी के एक पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में पढाई कर रहे अखलाक नाम के युवक को गणतंत्र दिवस के पहले देश में आतंकी आक्रमण करने की योजना बनाने के आरोप में बंदी बनाया है । जांच एजेंसियों का कहना है कि, अखलाक इस्लामिक स्टेट के लिए काम कर रहा था ।
छात्र से आतंकी बनने की अखलाक की कहानी
बाबरी मस्जिद को गिराने की बातें जानकर अखलाक को क्रोध था । वह बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर क्या सोचता है, इस बारे में उसने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी । पोस्ट में मस्जिद गिराए जाने के विरुद्ध बहुत क्रोध था । अखलाक ने इस पोस्ट को फेसबुक, ऑनलाइन सार्वजनिक मंच एवं सामाजिक जालस्थल समूहों में पोस्ट किया । लोगों ने अखलाक के पोस्ट को पसंद किया । लोगों द्वारा पसंद किए जाने से अखलाक का आत्मविश्वास भी बढा ।
फेसबुक पोस्ट के उत्तर में अखलाक के पास ७ दिसंबर २०१४ को युसूफलाल नाम के एक व्यक्ति ने फेसबुक इनबॉक्स में एक संदेश भेजा था । युसूफ ने स्वयं का परिचय एक इस्लामिक धर्मोपदेशक के रुपमें दिया था । उसने अखलाक के दृष्टिकोण की तारीफ की थी । जल्द ही अखलाक को बातचीत के लिए बुलाया गया और उससे कहा गया कि वह अपनी ऊर्जा व गुस्से को सही दिशा में ले जा सकता है ।
जब युसूफ ने उससे कहा कि, वह पॉलिटेक्निक की पढाई में अपना समय का विनाश कर रहा है, तो अखलाक को कोई आपत्ति नहीं हुई । जांचकर्ताओं को अखलाक ने बताया, ‘मुझे ऐसा लगा कि, मैं बडे काम करने के लिए पैदा हुआ हूं ।’
एक सूत्र के अनुसार, अखलाक ने जांच एजेंसी को इस बारे में बताते हुए कहा, ‘हम मुसलमानों के ऊपर बढ रहे अत्याचारों के बारे में बात करते थे और वह मुझसे पूछता था कि इसे सही करने का क्या रास्ता हो सकता है।’
इसी बीच अखलाक की क्षमता जानने के लिए उसे कुछ ‘छोटे-छोटे’ काम भी सौंपे गए । अखलाक की ऑनलाइन परीक्षाएं भी हुईं । धार्मिक व व्यावहारिक मुद्दों पर हुई इन परीक्षाओं में अखलाक उत्तीर्ण होता गया ।
अंतमें एक दिन युसूफ ने उससे पूछा कि, क्या वह सीरिया जाकर इस्लाम तथा इस्लामिक स्टेट के लिए लडना चाहेगा । अखलाक को इस प्रस्ताव से खुशी हुई, वह इस काम के लिए तैयार हो गया । युसूफ ने ही उससे कहा था कि, वह उसे सीरिया भेजने के लिए सारी व्यवस्था कर देगा ।
संदर्भ : नवभारत टाइम्स