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श्री शनिदेवजी के चबुतरेपर बलपूर्वक प्रवेश करने का प्रयास करनेवाली नास्तिक महिलाओंको रोकेगी, शनिभक्त महिलाएं !

शनिशिंगणापूर ग्रामवासियोंका एकमत से निर्धार !

शनिशिंगणापूर ग्रामवासी, श्रीशनैश्‍वर देवस्थान के पदाधिकारी, हिंदुत्वतवादी संगठन, हिन्दु जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था इनकी संयुक्त सभा का निर्णय !

धर्मपरंपरा की रक्षा के लिए संगठित हुई महिलाएं एवं शनिभक्तोंका अभिनंदन !

सभा में मार्गदर्शन करते हुए सरपंच श्री. बाळासाहेब बानकर और उपस्थित शनिभक्त महिलाएं

शनिशिंगणापूर : २६ जनवरी को ४०० नास्तिक महिलाएं श्री शनिदेवजी के चबुतरेपर चढकर वहां की सैंकडो वर्षों की परंपरा को तोडना चाहते हैं। उनको शनिभक्त ग्रामवासी ही रोकेंगे, इस प्रकार का एकमत से निर्धार यहां की सभा में २० जनवरी को किया गया।

समस्त हिन्दुत्ववादी संगठन, ग्रामवासी, श्रीशनैश्‍वर देवस्थान के पदाधिकारी, हिन्दु जनजागृति समिति एवं सनातन संस्था इन्होंने सुबह ११ से दोपहर १ इस अवधि में इस संयुक्त सभा का आयोजन किया था।

इस सभा में २०० से भी अधिक शनिभक्त उपस्थित थे। इसमें शनिशिंगणापूर एवं सोनई इन गांवोंके १२५ से भी अधिक महिलाएं उपस्थित थीं।

उपस्थित मान्यवर

शनिशिंगणापूर के सरपंच श्री. बाळासाहेब बानकर, श्रीशनैश्‍वर देवस्थान के उपाध्यक्ष श्री. नानासाहेब बानकर, विश्‍वस्त श्री. आदिनाथ शेटे, हिन्दु जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट, रणरागिणी शाखा की कु. प्रियांका लोणे एवं बजरंग दल,अखिल भारतीय छावा संगठन तथा श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान इन संगठनोंके कार्यकर्ता

मान्यवरोंके विचारधन !

धर्मपरंपरा की रक्षा करेंगे ही ! श्री. बाळासाहेब बानकर, सरपंच, शनिशिंगणापूर

आज बाहर के गांव के सभी शनिभक्त, धर्मप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन शनिशिंगणापूर में आकर यहां की धार्मिक परंपरा की रक्षा करनेवाले हैं !

परंपरा की रक्षा करना, यह हम सबका पहला दायित्व है। गांव के महिलाओंको आगे आकर ही परंपरा की रक्षा करनी चाहिए। इसके लिए हम सब संघटित होकर प्रयास करेंगे। कानून एवं व्यवस्था का प्रश्‍न उत्पन्न हो, ऐसा हम कुछ नहीं करेंगे; परंतु हम हमारी धार्मिक परंपरा को तोडने नहीं देंगे !

अधर्मसे प्रेरित कृति करने नहीं देंगे ! – श्री. नानासाहेब बानकर, उपाध्यक्ष, श्री शनैश्‍वर देवस्थान

शनिशिंगणापूर में चली आ रही अनेक वर्षोंकी परंपरा का हमे पालन करना ही होगा !

उन महिलाओंको एक भक्त के रूप में यहां की परंपरा के अनुसार दर्शन करना चाहिए। उनका शनिदेव के चबुतरेपर चढने का ‘हठ’ किसलिए ? २६ जनवरी के दिन कानून एवं व्यवस्था का प्रश्‍न उत्पन्न न हो, इसलिए हम प्रशासन एवं पुलीस को ज्ञापन दे कर संरक्षण की मांग की है; परंतु उस समय यदि कोई बिकट परिस्थिती उत्पन्न हुई, तो प्रशासन, मंदिर को अपने नियंत्रण में लेगा !

गांव के महिला भक्तोंको ही परंपरा की रक्षा के लिए नेतृत्व करना चाहिए ! – श्री. सुनील घनवट, राज्यसंगठक, हिन्दु जनजागृति समिति

हिंदु धर्मने कभी भी महिलाओंको कनिष्ठ स्थान नहीं दिया है, उनको सदा ही उच्च स्थान दिया गया है !

हमारे यहां ‘गार्गी’ एवं ‘मैत्रेयी’ ये दोनों ऋषिपत्नी ‘वेदोंकी अधिकारी’ रह चुकी हैं ! पुण्यश्‍लोक अहल्याबाई होळकर ने तो अनेक मंदिरें एवं मठोंकी स्थापना की तथा उनका प्रबंधन भी देखती थी। आज भी कई मंदिरोंकी विश्‍वस्त महिलाएं ही हैं।

इसलिए ‘स्री-समानता’ का ढोंग करते हुए धार्मिक परंपरा को तोडनेवालोंको रोकना चाहिए।

हमारी धर्म-परंपराओंके पीछे होनेवाला शास्र जान कर, उनकी रक्षा के लिए गांव के शनिभक्त महिलाओंको ही आगे आकर संघटित होना चाहिए।

शनिभक्त महिलाओंको नेतृत्व करने का आवाहन करने पर उपस्थित महिलाओंने उसे उत्स्फूर्त प्रतिसाद दिया, साथ ही ‘हम हमारी धर्मपरंपराओंकी रक्षा करेंगे तथा हम ‘देवता’ एवं ‘धर्मरक्षा’ के लिए २ दिन देंगे’, ऐसा सभी महिलाओंने कहा !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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