मंदिर सरकारीकरण का परिणाम . . .
मंदिरोंकी इनाम भूमि का आग्रह, यह तो वामपंथियोंका धर्मविरोधी षड्यंत्र !
मुंबई : राजा-महाराजोंके प्राचीन समय से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज तक सभी ने जनता के लिए बडे-बडे मंदिरोंका निर्माण कर उनका भार राजकोष पर ना पडे, इसलिए उनको स्वतंत्र रूप से इनाम भूमी दी। इससे किसानोंके परिवार का योगक्षेम होने सहित मंदिरोंके लिये होनेवाले व्यय की भी आपूर्ति हो रही थी।
स्वतंत्रता के पश्चात राजेशाही नष्ट होनेपर चुनाव के माध्यम से राजसत्ता प्राप्त किए हुए राजनितिक नेताओंने भ्रष्टाचार कर देश को ही डुबोया !
इस में इन मंदिरोंका कुछ भी दोष न होते हुए भी अब इन मंदिरोंकी भूमिंपर इन नेताओंने अपनी दृष्टी रखकर उनको लूटने का प्रयास करना, यह ‘धर्म को अफू की गोली’ माननेवाले वामपंथियोंका षड्यंत्र है ! इसके लिए वे किसानोंके नाम पर अपनी जेबें भर रहें हैं। यदि देवस्थानोंकी भूमी किसानोंके नामपर की, तो इन मंदिरोंका होनेवाला व्यय, क्या इन वामपंथियोंकी कोष से करें ?
गलत नीतियों को अपनाकर किसानोंका दिवाला निकालनेवाले तथा उनको आत्महत्या करने के लिए विवश बनानेवाले भ्रष्ट राजनेताओंकी भूमी पहले नियंत्रण में लेकर वो किसानोंको देने की मांग करनी होगी, साथ ही हिंदु देवस्थानोंकी भूमी लूटने की मांग करनेवाले वामपंथी दल, इसी प्रकार की मांग ‘चर्च एवं वक्फ बोर्ड’ की भूमि के संदर्भ में करने का साहस क्यों नहीं रखते ?
ऐसा हिन्दु जनजागृति समिति के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट ने एक विज्ञप्ति में कहा है।
इस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, कि …..
१. देवस्थान की भूमिपर किसानोंका अधिकार हों, इसलिए भारतीय किसान सभा एवं अन्य किसान संगठनोंकी ओर से हालही में राज्यभर में जेलभरो आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है।
इसे हिन्दु जनजागृति समिति का सख्त विरोध है !
२. पहले ही हिंदूओंके अधिकांश देवस्थान किसी ना किसी माध्यम से शासन के नियंत्रण में हैं तथा वहां बडी मात्रा में भ्रष्टाचार एवं अपप्रकार होने के संदर्भ में समाचार भी बीच-बीच में आते रहते हैं।
फिर वह मुंबई का श्री सिद्धीविनायक मंदिर हो अथवा पंढरपूर का श्री विठ्ठल मंदिर, शिर्डी का श्री साईबाबा मंदिर अथवा तुळजापूर का श्री भवानीमाता मंदिर या फिर कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर !
इन मंदिरों में चलनेवाले भ्रष्टाचारोंके विरोध में हिन्दु जनजागृति समिति ने अपने समविचारी संगठनोंके साथ आंदोलन खडा किया है !
इसके अंतर्गत पंढरपूर के श्री विठ्ठल मंदिर की १२०० एकड भूमी में से ३०० एकड भूमी पुनः मंदिर को वापस दिलाने में समिति को सफलता मिली है। साथ ही पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति के नियंत्रण में होनेवाले ३ सहस्र ६७ मंदिरों की २४ सहस्र एकड भूमी में से गायब हुई ७ सहस्र एकड भूमि की खोज करने के लिए समितिने अन्य संगठनोंसहित आंदोलन शुरू किया है।
इस प्रकरण की महाराष्ट्र राज्य अपराध अन्वेषण विभाग के विशेष अन्वेषण दस्ते की ओर से जांच कराने में समिति को सफलता मिली है !
३. आज हिंदु धर्मपर चारों ओर से आघात हो रहे हैं !
ऐसे समय में हिंदूओंको आध्यात्मिक बल एवं ऊर्जा इनकी आपूर्ति करने का काम ये मंदिरें कर रहीं हैं; परंतु इस प्रकार के आंदोलनोंके माध्यम से मंदिरोंको नष्ट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है !
किसानोंको इस षड्यंत्र का ‘हकदार’ नहीं होना चाहिए !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात