शिवसेना ने पूछा, ‘रमजान में रेप करते हैं तब हंगामा क्यों नहीं होता ?’

श्रावण कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११६


मुंबई – नए महाराष्ट्र सदन में मुस्लिम रोजेदार के मुंह में रोटी ठूंसने की घटना को लेकर शिवसेना को कोई पछतावा नहीं है। शिवसेना ने लड़ाकू स्टैण्ड लेते हुए गुरूवार को पूछा कि उसे क्यों निशाना बनाया जा रहा है? जब कुछ मुस्लिम रमजान के महीने में बलात्कार करते हैं तो सवाल खड़े क्यों नहीं किए जाते?

शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में कहा गया कि चपाती पर अनाश्वयक क्यों विवाद खड़ा किया गया? रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिमों की ओर से किए जाने वाले बलात्कारों पर किसी ने सवाल खड़े क्यों नहीं किए? लोग इन सभी चीजों को समझते हैं। मीडिया,कुछ राजनीतिक दलों और राजनेताओं को बलात्कार से कोई दि क्कत नहीं है लेकिन रोटी से है। संपादकीय में अफगानिस्तान और बेंगलूरू में बलात्कार की घटनाओं का जिक्र किया गया है। दोनों जगह बलात्कारी मुस्लिम थे।

संपादकीय में लिखा गया है कि मीडिया और स्वार्थी राजनेता बेसुरा प्रलाप कर रहे हैं। अफगानिस्तान में रमजान के महीने में 10 वर्षीय बच्ची से मौलवी ने बलात्कार किया था। उन्हें यह घटना नहीं दिखी। तब मीडिया भी नहीं बोला। संसद में भी सवाल नहीं उठा। तब संवेदनाओं को चोट नहीं पहुंची। बेंगलूरू में एक मुस्लिम ने रोजे के दौरान बच्ची से बलात्कार किया। मीडिया और स्वार्थी राजनेताओं ने इन घटनाओं पर क्यों कुछ नहीं बोला?

शिवसेना ने दोहराया कि उसके सांसदों ने महाराष्ट्र सदन में घटिया प्रबंधन और कैटरिंग सर्विस को लेकर आवाज उठाई थी। किसी के माथे पर नहीं लिखा होता कि वह किस धर्म,जाति और वर्ग का है। वह मुस्लिम था। हमें पता चला कि उसका रोजा था। इस बीच खबरें आने लगी कि शिवसैनिकों ने मुस्लिम का रोजा तुड़वाने की कोशिश की। पार्टी बदसलूकी में शामिल नहीं थी,वह तो सिर्फ विरोध कर रही थी।

असल में चपाती महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री,पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर,मुख्य सचिव और बिपिन मलिक(दिल्ली में महाराष्ट्र के प्रतिनिधि) के गले में उतार देनी चाहिए थी। जब हम रसोईये के मुंह के नजदीक चपाती ले गए और उसे टुकड़ा खाने के लिए कहा,तब महसूस हुआ कि खाना कितना अरूचिकर था। शिवसेना किसी धर्म के खिलाफ नहीं है लेकि न पार्टी धर्म के जरिए राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की भी बर्दाश्त नहीं करेगी। हम सभी धर्मो के साथ समान व्यवहार करते हैं। सभी को अपना धर्म घर और दिलों में रखना चाहिए। निजी विश्वास अलग चीज है। लेकिन जब निजी विश्वास का इस्तेमाल राजनीतिक प्वाइंट स्कोर करने और शिवसेना को बदनाम करने के लिए किया जाएगा तो लोगों को यह महसूस होना चाहिए कि वे शिवसेना के साथ डील कर रहे हैं।

संदर्भ : पत्रिका

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