श्रावण अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११६
अहमदाबाद (गुजरात) – पंतप्रधान नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में स्कूली बच्चों को अखंड भारत का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसमें बताया गया है कि "अविभाजित भारत" ही एक सच्चाई है, "विभाजित भारत" सिर्फ एक झूठ है।
क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, तिब्बत, बांगलादेश , श्रीलंका और बर्मा अविभाजित भारत का हिस्सा हैं? ये सभी देश अखंड भारत का हिस्सा हैं। अविभाजित भारत एक अप्राकृतिक घटना है, इन देशों को एक बार फिर आपस में जोड़कर अखंड भारत का निर्माण किया जा सकता है।
१४ अगस्त को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है, इसे अखंड भारत स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
भारतीय संस्कृति पर जोर देते हुए विद्यार्थीयोंसे कहा जाता है कि अपने जन्मदिन पर आप सभी मोमबत्ती न जलाएं, यह पश्चिमी सभ्यता है। इस सभ्यता को हटाने की जरूरत है। जन्मदिन पर आप स्वदेशी कपडे पहनें, हवन करें, इष्टदेव की अराधना करें और गाय को भोजन दें।
ये सभी बातें उन ९ किताबों की श्रृंखला में लिखी गई हैं, जिनको गुजरात के ४२ हजार से अधिक प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में पाठयक्रम का हिस्सा बनाया गया है। राज्य सरकार ने ३० जून को सभी स्कूलों को इस संदर्भ में दिशा निर्देश जारी किया।
वे ९ किताबें
शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के संयोजक दीना नाथ बत्रा ने ये ९ किताबें लिखी हैं, जिसे स्कूली पाठ्क्रमों का अनिवार्य हिस्सा बनाया गया है। इन सभी किताबों का हिंदी से गुजराती में अनुवाद किया गया है।
राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार, शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए इन पुस्तकों को पूरक साहित्य के तौर पर स्कूली पाठ्क्रमों में शामिल किया जा रहा है। यह सभी सरकारी स्कूलों में मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडास्मा ने ४ मार्च को इन किताबों का विमोचन किया था। ये ९ किताबें – शिक्षा नु भारतीयकरण, तेजोमय भारत, प्ररेणादीप-१ , २ , ३ और ४ , विद्यालय: प्रवृत्तियों नु घर, शिक्षण मा त्रिवेणी और वैदिक गणित हैं।
भारतीय संस्कृति-संस्कृत पर जोर
‘शिक्षा नु भारतीयकरण’ के ५९ वें पेज पर सामाजिक चेतना पाठ में लिखा गया गया है कि बच्चों को जन्मदिन पर मोमबत्ती नहीं जलानी चाहिए। पूर्णतया भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए स्वदेशी वस्त्र पहनें, हवन करें, गायत्री मंत्र का पाठ करें, जरूरतमंदों को कपडे दें, गाय को भेाजन दें, प्रसाद वितरण करें और विद्या भारती के बनाए गए गानों को सुनकर आनंद लें।
‘शिक्षा नु भारतीयकरण’ किताब में कहा गया है कि वर्तमान भाषा नीति के कारण अंग्रेजी प्रभावी है और संस्कृत को दरकिनार कर दिया गया है। संस्कृति का अध्ययन न करने से विद्यार्थी वेदों में लिखे गए भारतीय संस्कृति से जुडे अथाह ज्ञान को नष्ट कर रहे हैं। इसलिए छात्रोंको अपनी संस्कृति के बारे में जानना चाहिए।
किताब के लेखक बत्रा स्कूल में तीन भाषाओं की प्रणाली को लागू करने की सलाह देते हैं। वह सबसे पहले स्थानीय भाषा, फिर हिंदी और तीसरी भाषा के रूप में संस्कृति या और कोई विदेशी भाषा लागू करने की सलाह देते हैं।
इन किताबों में प्रकाशन स्तर पर कुछ गड़बड़ी होने के कारण अभी उनको स्कूलों में नहीं भेजा गया है।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका