नई देहली: पाकिस्तान के मिथी क्षेत्र में रहनेवाले एक हिंदू परिवार की आपबीती पढकर किसी का भी खून खौल जाएगा और वो बरबस कह उठेंगे कि क्या यही है पाकिस्तान ?
पाकिस्तान में रहने वाले एक हिंदू की दर्द भरी कहानी
“मैं एक हिंदू हूं, मैं कभी मिथी में रहा करता था जो पाकिस्तान का एकमात्र हिंदू गांव है। वर्ष २००५ की बात है। दिसंबर के महीने
में मेरे पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति के बेटी का विवाह था । उन्होंने हमसे विवाह में आने का आग्रह किया था इसलिए मैं अपने पूरे परिवार के साथ उस विवाह में गया, यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों की क्या स्थिति है। मैं अपनी पत्नी के साथ वहां पर गया। बिरादरी के बाहर का होने के नाते कोई भी हमसे बात नहीं कर रहा था। हमने उनके रिवाज को देखा, दूल्हा और दुल्हन को उपहार दिया। हमने भोजन करने के पश्चात वहां से जल्द ही निकलने की योजना बनाई क्योंकि अगले ही दिन मेरे बच्चों की परीक्षाएं थीं।”
‘हिंदू होने से मुझ पर हुआ आक्रमण’
“हम तलघर की आेर जा रहे थे इतने में ही पीछे से किसी ने मेरी गरदन पर जोरदार आक्रमण किया। यह आक्रमण इतना जोरदार था कि मैं पीछे नहीं देख पाया कि मुझपर किसने आक्रमण किया। मैं बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया तो मैने अपने आप को एक रेगिस्तानी क्षेत्र में पाया जहां कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे भयानक दर्द हो रहा था, जैसे मुझे किसी ने बुरी तरह पीटा हो। मैं पूरे दिन ठीक से खडा नहीं हो पाया। मैंने किसी तरह स्वयं को संभाला और अपने घर की आेर बढा । मैं अगले दिन अपने घर पहुंच पाया।”
‘पुलिस ने FIR लिखने से किया मना’
“हमारे घर में लूटपाट की गई थी। यहां तक की प्लास्टिक की कुर्सियां और टेलीविजन भी लूट लिया गया। मेरे बच्चों को भी बुरी तरह पीटा गया था। मेरी पत्नी भी घर पर नहीं थी। मैं अपने पड़ोसियों के घर पर गया किंतु उनमें से अधिकांश विवाह में गए हुए थे और नहीं जानते थे कि उनके घर में क्या हुआ। मैं पुलिस थाने गया किंतु वहां पुलिस ने FIR लिखने से मना कर दिया।
उन्होंने हमें कुछ दिन रुकने को कहकर वापस भेज दिया। यहां तक की उन्होंने हमें अपशब्द कहे और यह कह डाला कि, तुम्हारी पत्नी उसके प्रेमी के साथ भाग गई होगी और उसके साथ आनंद ले रही होगी। मैने उस दिन के बाद अपनी पत्नी को नहीं देखा और मुझे यह भी नहीं पता कि उसके साथ क्या हुआ। अंतत: जब हमारे पड़ोसी लौटे तो उन्होंने काफी मदद की, वो हमारे साथ पुलिस थाने गए और पुलिस ने हमारी शिकायत दर्ज की, किंतु मुझे तब भी लग रहा था कि मेरे केस में कुछ भी नहीं होगा।
वर्ष २०११ में पटरी पर लौटी जिंदगी
‘वर्ष २०११ में मेरा जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा। मेरी बेटी महाविद्यालय में पहुंच गई थी और मेरा बेटा कॉलेज में था। मैं हर दिन अपनी बेटी को ट्यूशन ले जाना तथा वापस लाने का काम करता था। किंतु वो जनवरी के महीने में एक दिन ट्यूशन से घर नहीं लौटी। जब मैने उसके दोस्तों से और उसके शिक्षक से पता किया तो उन्होंने बताया कि, आज एक सरप्राइज्ड टेस्ट था, किंतु वो उसे जल्द खत्म करके चली गई। उसने अपनी उत्तरपत्रिका जमा की और यहां से चली गई। मैने उसे खूब खोजा। मैने यह बात अपने बेटे को भी नहीं बताई।
हर बार की तरह पुलिस ने इस बार भी हमारी मदद नहीं की। मैने उसे हर जगह ढूंढा। राजमार्गों पर मैने हर किसी को उसकी फोटो दिखाई। करीब चार दिन बाद मैने उम्मीद खो दी। मैने फिर एक रात अपने बेटे को फोन लगाया। मैं उस दिन मार्ग के किनारे एक भिखारी की तरह बैठा था और मैं जीवन में पहली बार अपने बच्चों के सामने रोया था ।’
‘अब कभी पाकिस्तान नहीं जाऊंगा’
‘एक दिन जब मैं अपने छज्जे पे (बाल्कनी) बैठा था और अपनी पत्नी के बारे में सोच रहा था कि कैसे उसने अपनी पत्नी और बच्ची को खो दिया, तभी मुझे मेरे सामने फटे हुए कपडो में मेरी बच्ची आती हुई दिखी। उसके फटे कपड़ों से मैं समझ गया कि उसके साथ क्या हुआ होगा। कुछ लोगों ने उसके साथ पांच दिन तक बलात्कार किया और कुछ अनैतिक काम भी किए जिसे मैं बता भी नहीं कर सकता।
इस घटना के बाद मैने पाकिस्तान छोडने का मन बना लिया और वीजा के लिए आवेदन किया, किंतु पाकिस्तान और भारत की सरहद पर उपजे तनाव के कारण मुझे मना कर दिया गया। । हम मार्च महीने में सऊदी अरब चले गए और फिर अक्टूबर के महिने में भारत आ गए। मेरी बेटी स्वयं को संभाल नहीं पाई। यहां तक कि उसने दो बार आत्महत्या करने का प्रयास किया । मैं उसके ठीक होने की दुआ करता हूं। मैं अब कभी भी पाकिस्तान जाने की उम्मीद नहीं रखूंगा।’
स्त्रोत : खबर इण्डिया टीव्ही