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भोजशाला में बसंत पंचमी पर हिन्दू पूरा दिन पूजन कर के ही रहेंगे – सहस्रों हिन्दूओंका निर्धार

महाराजा भोज उत्सव समिति एवं हिन्दु जागरण मंच इनके संयुक्त आयोजन से आयोजित धर्मसभा

धर्मसभा को उपस्थित सहस्रों हिन्दूओंका निर्धार !

इस वर्ष १२ फरवरी को बसंत पंचमी है तथा उस दिन शुक्रवार है। बसंत पंचमी हिन्दूओंके लिए महत्त्वपूर्ण त्योहार होने से वर्ष में केवल एक ही बार इस मंदिर में पूजा करने का अवसर हिन्दूओंको दिया जाता है, अपितु प्रत्येक शुक्रवार के दिन नागरिकोंको इस मंदिर के परिसर में अवैध रूप से बनाए गए कमाल मौलान दर्गाह में नमाजपठन की अनुमति दी जाती है ! शुक्रवार के दिन आनेवाली बसंत पंचमी के दिन पूरा दिन लाखोंकी संख्या में आनेवाले हिन्दूओंको वहां पूजन करने की अनुमती दे कर मुसलमान नागरिकोंको किसी अन्य स्थानपर नमाजपठन करने कहा जाए, ऐसी मांग हिन्दू कर रहे हैं !

इस पार्श्वभूमिपर स्थानीय प्रशासनने दोनों ओर के लोगोंकी बैठकें लेकर वार्ता आरंभ की है तथा उसमें कोई सुवर्णमध्य निकल सकता है क्या, यह देखा जा रहा है। साथ ही जिन लोगोंके कारण विधी एवं व्यवस्था इनकी समस्या हो सकती है, ऐसे लोगोंको पहले ही पुलीस प्रशासन पकड रहा है !

धार (मध्य प्रदेश) : संगठित हुआ हिन्दु समाज जो निर्णय लेगा, वही बसंत पंचमी को होगा !

इस वर्ष बसंत पंचमी के दिन भोजशाला में हिन्दु समाज का पूरा दिन पूजन करने के अधिकार में प्रशासन कोई बाधा ना डालें, ऐसी चेतावनी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री. विक्रमसिंह रघुवंशी ने दी है।

श्री देवी सरस्वती मंदिर की (भोजशाला) मुक्ति के लिए स्थापन की गई महाराजा भोज उत्सव समिति एवं हिन्दु जागरण मंच इनके संयुक्त आयोजन में आयोजित २४ जनवरी २०१६ के दिन धर्मसभा का आयोजिन किया गया था। इस सभा को संबोधित करते हुए वे बोल रहे थे।

इस वर्ष के बसंत पंचमी के दिन हिन्दू पूरा दिन पूजन करेंगे ही, ऐसा निश्‍चय उपस्थित सहस्रों हिन्दूओंने किया।

सभा का आरंभ दीपप्रज्वलन से हुआ। श्री. जगदीशचंद्र शर्मा (बाबुजी) एवं विमल गोधा इन्होंने सभा का अध्यक्षस्थान भूषित किया।

सभा के पूर्वार्ध में समिति के श्री. गोपाल शर्मा ने भोजशाला मुक्ति संग्राम के विषय में उपस्थितोंको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि, एक काल ऐसा था कि, भोजशाला में हिन्दूओंके प्रवेश करनेपर ही प्रतिबंध डाला गया था; परंतु वर्ष २००३ में हिन्दूओंद्वारा तीव्र संघर्ष किए जाने के कारण भोजशाला में हिन्दूओंको प्रवेश दिया गया। वर्ष २००६ में बसंत पंचमी के दिन हिन्दूओंने पूजन भी किया तथा वर्ष २०१३ में हिन्दूओंके संगठीत विरोध के कारण भोजशाला के परिसर में नमाजपठन भी नहीं हो सका।

साध्वी ऋतंभरा जी ने टेलिकॉन्स्फरन्सद्वारा इस सभा में उपस्थित होकर हिन्दूओंका मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि, मैं यदि शरिर से आपके समेत ना होते हुए भी मेरी आत्मा इस मुक्ति आंदोलन में आपके समेत ही होगी। जब-जब हिन्दु धर्मरक्षा हेतु मेरी आवश्यकता पडेगी, मैं आपके समेत रहूंगी।

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हिंदू जनजागृति समिति का ‘भोजशाला’ अभियान !
आज तक की गतिविधियां आप यहां से देख सकते हैं . . . 
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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